खेत्वादी थियेटर
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नाटक
हिंदी रंगमंच में फुले-अम्बेडकरवादी विचारधारा का प्रभाव
राजेश कुमार फुले ने वर्ष 1855 में ‘तृतीय रत्न’ नाटक को लिखा था। फुले के इस नाटक पर गौर फरमाना क्यों नहीं जरूरी समझा गया? क्या जानबूझकर उपेक्षित रखा गया क्योंकि यह नाटक…
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