
राजधानी दिल्ली में हुए बम धमाके के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। इसको लेकर जांच पड़ताल जारी है। इसी बीच इस बम धमाके की साजिश के पीछे डॉक्टरों की गैंग सामने आई है। माना जा रहा है कि बेहद शातिराना ढंग से इन सफेदपोश जॉब वाले डॉक्टरों का ब्रेनवॉश करके पूरी टेरर लैब तैयार की गई थी।
दरअसल कुछ दिनों पहले जम्मू कश्मीर,सहारनपुर, फरीदाबाद और गुजरात से पांच डॉक्टरों की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद अब आतंकियों का एक नया मॉड्यूल सामने आया है, जिसे व्हाईट कॉलर टेरर मॉड्यूल कहा जा रहा है। हाल ही में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले की तैयारी में लगे डॉक्टर्स की गिरफ्तारी के बाद इस नए मॉड्यूल की चर्चा ने ज़ोर पकड़ लिया है।
क्या है व्हाइट कॉलर टेरर ?
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़े युवा आतंकी नेटवर्क मजबूत करने, लोगों को भड़काने, मनी ट्रांसफर, लॉजिस्टिक के लिए इंक्रिप्टेड कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल करने में माहिर होते हैं। विदेशों में बैठे लोग और संगठन ऐसे लोगों को प्रोफेशनल, एजुकेशनल,सोशल कार्यों के नाम पर आसानी से पैसा ट्रांसफर करते हैं।
जिसके बाद इस मॉड्यूल के लोग विदेश में बैठे अपने हैंडलर्स के इशारे पर काम करते हैं। इस मॉड्यूल के युवा जल्द ही देश,दुनिया में अपना नेटवर्क बना लेते हैं। एक समय था जब जिहादी, कट्टरपंथी संगठन अनपढ़ या कम पढ़े लिखे युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें कट्टर और जिहादी बनाते थे। लेकिन बीते कुछ समय में विदेशों में बैठे हैंडलर्स ने इंजीनियर, डॉक्टर जैसे पढ़े लिखे युवाओं को जेहादी बनाया है।
गुजरात एटीएस ने तीन डॉक्टरों को किया गिरफ्तार
हाल ही में गुजरात एटीएस ने हैदराबाद के डॉक्टर मोहिउद्दीन सैयद को गिरफ्तार किया। उसके साथ यूपी के लखीमपुर का सोहेल और यूपी के शामली का आजाद भी गिरफ्तार हुआ। यूपी के दोनों युवा तो मुजफ्फरनगर के दाऊद मदरसे से हाफ़िज़ की पढ़ाई कर चुके थे लेकिन मोहिउद्दीन सैयद उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टर था।
तो वहीं जम्मू कश्मीर पुलिस ने यूपी के सहारनपुर से डॉक्टर आदिल अहमद को गिरफ्तार किया। आरोपी से पूछताछ के बाद पुलिस की टीम फरीदाबाद पहुंची। यहां आदिल अहमद ने करीब 3 महीने पहले एक कमरा किराए पर लिया हुआ था। जहां से बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामान बरामद किया गया।
इसके बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार डॉक्टर आदिल अहमद राठर की जांच पड़ताल हुई तो इस मामले में एक नया मोड़ आया। जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा बीते 6 नवंबर को गिरफ्तार किए गए आदिल की निशानदेही पर फरीदाबाद से डॉक्टर मुसैद उर्फ डॉक्टर मुजम्मिल शकील को भी पकड़ा गया।
आदिल अहमद और मुजम्मिल शकील ने करीब 3 महीने पहले फरीदाबाद के एक इलाके में किराए पर कमरा लिया था। इस कमरे से पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक, असलहा, कारतूस बरामद किए है। कमरे से करीब ढाई सौ किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ, जिससे बड़ी तबाही की जा सकती थी।
सूत्रों के मुताबिक फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे डॉक्टर मुजम्मिल का ब्रेन वॉश भी पाकिस्तान में बैठे जैश के हैंडलर ने किया था।
डॉक्टर मुजम्मिल शकील पिछले तीन महीने से जम्मू के एक इमाम के जरिए आतंकी संगठन के संपर्क में आया था। हालांकि शोपियां का ये इमाम मौलवी इरफान अहमद भी जम्मू कश्मीर पुलिस के हत्थे चढ़ गया है।
ये बात भी सामने आई कि डॉक्टर मुजम्मिल ने कई बार वीडियो कॉल पर इस पाकिस्तानी हैंडलर से संपर्क किया है। पाकिस्तानी हैंडलर के निर्देश पर ही ये विस्फोटक मुजम्मिल ने यूनिवर्सिटी से बाहर अपने एक किराए के कमरे में रखवाया था। नए खुलासों और गिरफ्तारियों के बाद व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल अब आतंक के खिलाफ काम करने वाली एजेंसियों के लिए नई चुनौती पेश कर रहा है।










