अरुण माहेश्वरी
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चर्चा में
केरल की नेत्री शैलजा को मैगसेसे प्रसंग पर एक नज़र
मार्क्स, एंगेल्स और लेनिन के विचारों में समाजवादी समाज और समाजवादी राज्य के अंगों की जो कटी-छँटी छवियाँ थी, उन्हें रूस में नवंबर क्रांति और सोवियत संघ के विकास के साथ पहली बार एक समग्र, एकजुट छवि की पहचान…
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सामयिक
‘आरएसएस की बिसात’ क्या कोरा मतिभ्रम नहीं है!
कल की पुण्य प्रसून वाजपेयी की वार्ता का विषय दिलचस्प था — संघ का मोदी-विहीन एनडीए! जो संघ एकचालिकानुवर्तित्व के केंद्रीय कमांड के अपने सिद्धांत पर खुद टिका हुआ है और उसे पूरे देश के संचालन का आदर्श सिद्धांत…
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चर्चा में
सावरकर, भाक्तवाद और प्रमाता की ‘गूंग’ के प्रश्न
यह एक बहुत दिलचस्प प्रसंग है। हमारे मित्र अजय तिवारी ने फेसबुक पर एक पोस्ट लगाई वीर सावरकर के बारे में। शायद उन्हें लगा कि आज के सावरकर की स्तुति के काल में भी उनके प्रति ‘न्याय’ नहीं हो…
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राजनीति
बिहार में फासीवाद के विकल्प का नया संधान
आजादी की 75वीं सालगिरह का सप्ताह और 9 अगस्त, अर्थात् अगस्त क्रांति का दिन। ‘भारत छोड़ो’ का नारा तो गाँधीजी ने दिया था, पर बिहार की धरती पर इस आन्दोलन को एक ऐतिहासिक क्रांति का रूप दिया था काँग्रेस…
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पुस्तक-समीक्षा
पुरस्कारों के लिये सर्वथा निरापद एक सरियलिस्ट उपन्यास : ‘रेत समाधि’
आज कथा सम्राट प्रेमचंद की 143वीं जयंती का दिन है। सम्राट, अर्थात् हेगेलियन अवधारणा के अनुसार कथा जगत का ईश्वर। मनोविश्लेषण की भाषा में इस जगत की प्राणीसत्ता जिसके आत्म-विस्तार का ही प्रकृत रूप है आज का हिन्दी का…
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सामयिक
नूपुर-नवीन कांड आरएसएस के सच की ही उपज है
बीजेपी के नूपुर-नवीन कांड ने अब सचमुच एक मज़ेदार नाटक का रूप ले लिया है। मोदी-भागवत अपने मूल चरित्र पर पर्दा डाल रहे हैं, और सारे संघी कार्यकर्ता मिल कर उसे और ज़्यादा उघाड़ रहे हैं ! दोहरा चरित्र…
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मुद्दा
बांग्ला नववर्ष और जातीय अस्मिता के सवाल पर क्षण भर
बांग्ला नववर्ष पोयला बैशाख की सभी मित्रों को आंतरिक बधाई। हम अपने जीवन में ही पोयला बैशाख से जुड़ी बंग्लावासियों की अस्मिता के पहलू के नाना आयामों और उनके क्रमिक क्षरण के साक्षी रहे हैं। हर साल बांग्ला पत्र-पत्रिकाओं…
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रायल्टी विवाद
साहित्य और जीवन के भ्रम और यथार्थ
हिंदी का लेखक-प्रकाशक विवाद सोशल मीडिया पर हिन्दी के लेखकों और प्रकाशकों के बीच सम्बन्ध के बारे में अभी जो बहस उठी है, वह जितनी दिलचस्प है, उतनी ही विचारोत्तेजक भी है। इसमें एक प्रकार से हिन्दी साहित्य और…
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चर्चा में
क्या जन आन्दोलनों का नेतृत्व राजनीतिक सवालों से उदासीन रह सकता है?
यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव से उठने वाले प्रश्न तमाम दलीलों को सुन कर बहुत सोचने के बावजूद पंजाब और यूपी के चुनाव परिणाम और उनमें किसान आन्दोलन के नगण्य प्रभाव का कारण आसानी से समझ में…
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राजनीति
सीपीआई (एम) की 23वीं कांग्रेस के राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर एक दृष्टिपात
अन्तर्विरोधों और द्वंद्वों की सही समझ के आधार पर इस पूरे दस्तावेज का पुनर्लेखन किया जाना चाहिए सीपीआई (एम) की 23वीं कांग्रेस केरल के कन्नूर में आगामी 6-10 अप्रैल 2022 को होने जा रही है। इस कांग्रेस में…
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