अब मिली होगी चौ. देवीलाल की आत्मा को शांति – अजय दीप लाठर
- अजय दीप लाठर
जो इनेलो-जजपा नहीं कर पाए, बीजेपी ने कर दिखाया, माइक्रो मैनेजमेंट की वजह से हुआ संभव
देश के उपप्रधानमन्त्री रहे दिवंगत चौधरी देवीलाल की आत्मा को अब असली शांति मिली होगी। वहीं, उनके बेटे पूर्व मुख्यमन्त्री ओमप्रकाश चौटाला के चेहरे पर आज अरसे बाद बड़ी खुशी होगी। यह खुशी और किसी की वजह से नहीं, बल्कि बीजेपी के चुनाव प्रबन्धन व माइक्रो मैनेजमेंट की वजह से आई है।
दरअसल, ताऊ देवीलाल की रोहतक लोकसभा क्षेत्र से 1996 में भूपेन्द्र हुड्डा के हाथों 2664 वोट से व 1998 में 383 वोट से हार को आज तक कोई भी सामान्य हार मानने को तैयार नहीं है। सभी मानते हैं कि तत्कालीन सरकार के ईशारे पर अफसरों ने देवीलाल को हराया था। ताऊ देवीलाल की तीन बार की हार के बाद ही हुड्डा नेता के तौर पर स्थापित हुए और दो बार मुख्यमन्त्री बने। बेटे को तीन बार लोकसभा सांसद बनवा दिया। हालाँकि, हुड्डा को राजनीति में न्यूकमर कहे जाने वाले इनेलो के कैप्टन इंद्र सिंह ने 144693 मतों से 1999 में हराकर पटखनी दी। इस हार को देवीलाल परिवार ने भले ही उनकी हार का बदला लेने की संज्ञा दी हो, लेकिन इसके बाद से हुड्डा लगातार बुलंदियां छूते रहे। पूर्व मुख्यमन्त्री ओमप्रकाश चौटाला व उनके बेटे अजय सिंह चौटाला को जेल तक पहुँचाने में हुड्डा की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। ऐसे में चौटाला परिवार में हुड्डा के प्रति कहीं न कहीं इस बात की कसक थी कि वे राजनीतिक तौर से प्रदेश में सबसे अधिक मजबूत हुए हुड्डा परिवार को शिकस्त दें, लेकिन उनके सपने पूरे नहीं हो पा रहे थे। इस सपने को खुद ओमप्रकाश चौटाला, अभय सिंह चौटाला या फिर दुष्यंत चौटाला भी पूरा नहीं कर पा रहे थे।
चौधरी देवीलाल को तीन बार हराने के बाद हुड्डा का राजनीतिक भाग्य अचानक से बुलंदियों की ओर बढ़ता गया। इसके बाद वे एक बार लोकसभा सांसद, चार बार विधायक, एक बार विपक्ष के नेता, दो बार मुख्यमन्त्री बन चुके और तीन बार बेटे दीपेन्द्र को रोहतक से सांसद बनवा चुके। वहीं, राजनीतिक शिखर तक पहुँचने के बाद घमंड में चूर हुड्डा परिवार के लिए 2019 का चुनाव करारी शिकस्त लेकर आया। जिस तरीके से वे खुद सोनीपत से हारे और बेटे दीपेन्द्र की रोहतक से हार के साथ उनका किला बालू रेत की तरह ढह गया, उसके पीछे सिर्फ मोदी की सुनामी और डॉ अरविन्द शर्मा उतने जिम्मेदार नहीं हैं, जितना बीजेपी के प्रबन्धन का रोल रहा है। बीजेपी की माइक्रो मैनेजमेंट, बूथ मैनेजमेंट व पन्ना प्रमुखों का इसमें सबसे बड़ा रोल रहा है। सही मायनों में चौधरी देवीलाल की हार का बदला इनेलो या जजपा नहीं, बीजेपी ने ही हुड्डा परिवार को दोहरी चोट देकर लिया है।
लेखक हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार हैं और खबर खखाटा 24*7 नामक चर्चित व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन हैं.
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