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19 साल बाद जेल से बाहर आएगा सुरेंद्र कोली, निठारी कांड मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

देश के सबसे चर्चित निठारी कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। निठारी हत्याकांड मामले में सालों से जेल में बंद आरोपी सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा अगर आरोपी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है, तो उसे तुरंत रिहा किया जाए।

 

इस मामले में 11 नवंबर को कोर्ट ने आरोपी सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव याचिका को स्वीकार किया और अपना फैसला सुनाया है। जिसमें कोली की अंतिम सजा को रद्द करते हुए उसे पूरी तरह बरी कर दिया है। सुरेंद्र कोली पर निठारी हत्याकांड से जुड़े कुल 13 मामलों में मुकदमे चले थे।

इनमें से 12 मामलों में पहले ही वह इलाहाबाद हाईकोर्ट से बरी हो चुका था। लेकिन एक मामला ऐसा था, जिसमें सजा बनी हुई थी। लेकिन आज 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा एक ही सबूत और तथ्य के आधार पर 12 मामलों में बरी हो चुके आरोपी को एक मामले में सजा देना न्याय के खिलाफ है।

कोर्ट ने सुरेंद्र कोली के 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में पाए गए सबूतों को कमजोर माना और कहा कि सुरेंद्र कोली का दोष सिद्ध नहीं हो पाया। अगर वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं, तो उसे तुरंत रिहा कर दिया जाए। कोर्ट के इस फैसले से अब सुरेंद्र कोली के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश क्यूरेटिव पिटीशन के आधार पर दिया, और कहा कि लंबी कानूनी प्रक्रिया और देरी के कारण कोली को जेल में अधिक समय तक नहीं रखा जाना चाहिए।

क्या है निठारी कांड ?

ये मामला साल 2006 का है। दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी गांव में 29 दिसंबर 2006 को कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यहां एक घर के पीछे बने नाले से कई बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। जिसके बाद ये मामला सुर्खियों में आ गया।

बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पीछे बने नाले से ये कंकाल बरामद किए गए थे। जिसके बाद पुलिस ने जांच की और मोनिंदर के घर पर काम करने वाले सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया।

पहले सुरेंद्र कोली पर 15 साल की लड़की का बलात्कार और हत्या करने का आरोप था। लेकिन बाद में कई और कंकाल बरामद हुए। जिसके बाद ये मामला  सीबीआई के पास गया और फिर ये मामला एक सीरियल किलिंग केस के रूप में सामने आया।

2015 में फांसी की सजा उम्रकैद में बदली 

फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था। साल 2014 में उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

अक्टूबर 2023 में हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंधेर को निठारी से जुड़े कई अन्य मामलों में बरी कर दिया। इसके बाद सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने इन फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 30 जुलाई 2025 को सभी अपीलें खारिज कर दी गई।

अब सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की क्यूरेटिव याचिका को स्वीकार करते हुए उसे बरी करने का फैसला सुनाया है। क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा, हम याचिका स्वीकार करते है। 2011 में पारित पुनर्विचार को वापस लिया जाता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बहाल किया जाता है। अभियुक्त को सभी आरोपों से बरी किया जाता है। उसे तत्काल जेल से रिहा किया जाए।

 

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