यह ‘भारत’ नाम की मूल अवधारणा के लिए लड़ी जा रही लड़ाई है – राहुल गाँधी
- दि हिन्दू के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी संदीप फूकन के साथ रोजगार की कमी, कृषि संकट और अर्थ व्यवस्था की स्थिति समेत उन मुद्दों के बारे में बात करते हैं जो 2019 के आम चुनाव को परिभाषित करेंगे।
आपने देश भर में इधर से उधर अनवरत यात्राएँ की हैं। इन चुनावों को लेकर आपकी राय क्या हैॽ जमीन पर लोगों की मनो-स्थिति क्या हैॽ
यह चुनाव बेरोजगारी, हमारे किसानों की गहन दुर्दशा एवं कृषि संकट और अर्थ व्यवस्था की स्थिति पर केंद्रित है। ये मुद्दे 2019 के चुनाव की दिशा तय करेंगे। ये ही वे मुद्दे हैं जिनके बारे में लोग सुनना चाहते हैं। यहाँ तक कि चुनावी पंडित भी इन पर सहमत हैं।
हमारे घोषणापत्र ने भारत को मोदी की नीतियों से उपजी तकलीफों से बाहर निकालने की एक रूपेखा प्रस्तुत की है। भाजपा के घोषणपत्र से इसकी तुलना कीजिए जो नौकरियों पर या भारत के लोगों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात तक नहीं करता।
पिछले 45 सालों की सबसे ऊँची बेरोजगारी की दर हमारे यहाँ है किन्तु श्रीमान् मोदी के पास इस विषय पर बोलने के लिए एक शब्द तक नहीं है !
इसके स्थान पर भाजपा ने राष्ट्रीय सुरक्षा को अपने चुनावी आख्यान का केंद्रीय बिंदु बनाकर इस चुनाव के आख्यान को भटकाना चाहा। लेकिन यह मुद्दा भी नहीं चला क्योंकि लोग अब मूर्ख नहीं बनेंगे : तथ्य यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है। और दूसरा बड़ा मुद्दा है – आजीविका और भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी समस्या है व्यापक ग्रामीण संकट और हमारे किसानों की स्थिति।
राष्ट्रीय सुरक्षा, आजीविका की सुरक्षा और हमारे युवाओं के स्वप्नों और हमारे किसानों के बीच एक स्पष्ट सम्बन्ध है। प्रधानमन्त्री और भाजपा इससे पूरी तरह से चूक रहे हैं।
आप ऐसा क्यों कहते हैं कि इस पर आग नहीं उगली गई है? रैलियों में प्रधानमन्त्री राष्ट्रवाद पर बात करते हुए ‘दमदार सरकार’ की बात करते हैं। क्या भाजपा राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरना चाहती हैं?
चलो ‘दमदार’ शब्द पर बात करें। भारत अपनी ताकत कहाँ से पाता है? भारत की ताकत उसकी विशाल आर्थिक संभावनाओं में निहित है, यह लाखों-लाख स्वप्नदर्शी युवाओं में निहित हैं जो एक सुदृढ़ अर्थ व्यवस्था के निर्माण में भारत की सहायता कर सकते हैं; जो भारी संख्या में व्यवसाय शुरु कर सकते हैं और जो व्यवसाय बदले में लाखों भारतीयों को रोजगार दे सकते हैं। यहीं पर भारत की ताकत वास्तव में निहित है।
अगर आप एक ‘दमदार सरकार’ चाहते हैं तो सबसे पहले आपको भारत के युवाओं को रोजगार देने की जरूरत है और उन्हें अपने भविष्य को पुन: आकार देने और साथ ही साथ भारत का भविष्य पुन: लिखने के अवसर मुहैया कराने की जरूरत है। सिर्फ तभी भारत एक शक्तिशाली देश बनेगा।
हमारे किसानों को भारत में दूसरी हरित क्रान्ति लाने का अवसर दिया जाए तो भारत एक ताकतवर देश बन जाएगा। धक्का देकर हमारी अर्थ व्यवस्था को गति प्रदान की जाए और इसे पापिस पटरी पर लाया जाए तो भारत बहुत ताकतवर देश हो जाएगा। भारत के गरीबों को सशक्त करें तो हम एक ताकवर देश हो जायेंगे। मोदी एक ‘दमदार सरकार’ और हमारे युवाओं के रोजगार, हमारे किसानों की समृद्धि और हर भारतीय जिस स्वप्न का स्वयं को हिस्सा महसूस कर सके, भारत के उस स्वप्न के बीच सम्बन्ध क्यों नहीं देख पाते?
क्या आप मानते हैं कि पुलवामा और बालाकोट के बाद देश का मानस बदल गया है?
नहीं, मैं नहीं मानता कि ऐसा हुआ है। रोजगार, कृषि, युवाओं के लिए अवसर, न्याय और समता के मुद्दे ही हर भारतीय के लिए बुनियादी मुद्दे लगातार बने हुए हैं।
यहाँ एक ऐसी सरकार है जो यह आख्यान बुनने के लिए प्रयासरत है कि आतंकी हमले पहले यूपीए के समय भी इसी प्रकार हुये थे। लेकिन यह ‘मोदी सरकार’ है और हम दुश्मन के इलाके में भीतर जाते हैं, उसे पराजित करते हैं और वापिस लौट आते हैं। अत: वे एक निर्णायक नेतृत्व दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं …
श्रीमान नरेन्द्र मोदी पाँच बड़े मुद्दों पर शासन में आये थे – रोजगार, अर्थव्यवस्था, कीमत वृद्धि, कृषि संकट, काला धन और भ्रष्टाचार। हमने इन पाँच मुद्दों में से हर एक पर उनकी झूठी कहानी की धज्जियाँ बिखेर दी है।
भ्रष्टाचार का मुद्दा आने पर हम उनकी कलई खोल चुके हैं। आप बाहर निकलें और कहें कि ‘चौकीदार’ और लोग कहेंगे कि ‘चोर है।’ हर जगह, हर राज्य में जहाँ मैं जाता हूँ, मुझे सिर्फ ‘चौकीदार’ कहने की जरूरत होती है और वे कहते हैं कि ‘चोर है’। कौन है वह, जिसके बारे में वे बात कर रहे हैं?
रोजगार पर उनके नकली वादों की हमने हवा निकाल दी है। उन्होंने हर साल दो करोड़ नौकरियाँ देने का वादा किया था जबकि आज के दिन भारत की बेरोजगारी 45 सालों के सबसे ऊँचे स्तर पर है। हम एक दिन में 27,000 नौकरियाँ खो रहे हैं ! लाखों नौकरियाँ नोटबंदी के कारण चली गईं।
नोटबंदी पूरी तरह से हास्यास्पद और बेतुकी नीति थी। कोई भी अर्थशास्त्री आपको यही बताएगा। हर भारतीय अब जानता है कि मोदी का ‘गब्बर सिंह टैक्स’ एक आपदा है … कीमतें आज पहले के किसी भी समय से ज्यादा अनियंत्रित हैं।
कृषि संकट के मुद्दे पर हमने श्रीमान मोदी के अन्याय को खोलकर रख दिया है। हमारे किसानों की रक्षा करने में और उन्हें उनके उत्पादों की लाभकारी कीमत प्रदान करने में उनका (नरेन्द्र मोदी का) असामर्थ्य स्पष्ट है। झूठों और नकली वादों वाले एक नेता के रूप में नरेन्द्र मोदी की स्थिति साफ हो चुकी है। यही कारण है कि नरेन्द्र मोदी सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में बोलते हैं। लेकिन वास्तविक राष्ट्रीय सुरक्षा और आजीविका की सुरक्षा के मुद्दे उन्हीं की उपज हैं।
नौकरियों, किसानों, अर्थव्यवस्था, स्वप्नों और न्याय के बारे में वे क्यों नहीं बोलते हैं? कारण कि अगर वे ऐसा करते हैं तो लोग कहेंगे कि ‘‘श्रीमान प्रधानमन्त्री आप क्या बात कर रहे हैं? और खैर … श्रीमान अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये क्यों मिले थे? वह है कौन? आपका मित्र होने के अलावा वह है क्या?’’
कांग्रेस पार्टी ने श्रीमान मोदी की आँधी की चिंदिया बिखेर दी है। जो आप देखेंगे, वह यह है कि मोदी का गुब्बारा फूटने वाला है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि पहले चरण के चुनावों के बाद वे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ से वापिस ‘विकास’ की ओर मुड़ रहे हैं।
इसी पर और आगे चलें। कांग्रेस पार्टी अपने घोषणापत्र के माध्यम से भारत की गंभीर समस्याओं के ठोस समाधान रख रही हैं। श्रीमान नरेन्द्र मोदी ने विमुद्रीकरण किया था, हम मुद्रीकरण करेंगे।
श्रीमान मोदी ने सिर्फ शब्दों में ‘मेक इन इंडिया’ कहा था किन्तु पहले तीन साल तक बिना कोई अनुमति के अपना व्यवसाय शुरु करने का अवसर हम हर उद्यमी को प्रदान करेंगे। ‘व्यवसाय की सहूलियत’ वास्तव में यही होती है।
हम अपने किसानों को एक पृथक बजट देंगे। साल के आरम्भ में ही हम उन्हें बता रहे होंगे कि जो सरकार आपके लिए करेगी, वह यह है। कोई झूठ नहीं। कोई झूठा वादा नहीं। कि इस तरह हम आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य देंगे।
तो समाधानों के मार्फत हमने कुछ सोचा है। हमने हजारों लोगों से बात की है। भारत के लोगों को सुनकर हमने जो कुछ सीखा है, उस हर चीज को हम क्रियान्वित करने जा रहे हैं।
आपने राफेल का मुद्दा उठाया है। दि हिन्दू बड़े पैमाने पर इसकी रिपोर्ट करता आया है। क्या आप मानते हैं कि राफेल की रेबड़ी बांटने के आरोप मतदाताओं को प्रभावित करेंगे? क्या यह एक चुनावी मुद्दा है?
राफेल का मुद्दा भारत के लोगों में पहले ही गूंज रहा है। मोदी द्वारा खड़े किये गये झूठ के परदे का इसने खुलासा कर दिया है। हर भारतीय अब विश्वास करता है कि राफेल का पूरक अनुबंध (ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट) हासिल करने में अनिल अंबानी की सहायत श्रीमान नरेन्द्र मोदी ने की थी।
आपके अख़बार ने दिखाया है कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने राफेल पर मोलभाव के लिए निर्दिष्ट भारतीय दल की अवहेलना करके श्रीमान मोदी द्वारा फ्रांस के साथ किये जाने वाले समांतर मोलभाव का विरोध किया था। दि हिन्दू द्वारा प्रकाशित दस्तावेज आपराधिक मंशा साबित करते हैं। जब भारत में और संभवत: इसी प्रकार फ्रांस में जांच शुरु होगी तो राफेल सौदे के भ्रष्टाचार की परतें हर एक को दिखाई देगी। अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों को फ्रांस में रहस्यमय ढंग से मिली करों में छूट का हालिया खुलास इस दिशा की ओर संकेत करता है।
लेकिन अपने ताजा साक्षात्कार में प्रधानमन्त्री ने कहा कि राफेल आरोप झूठे थे; उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में भ्रष्टाचार का जबावी आरोप भी लगाया। उन्होंने एक ‘परिवार’ के बारे में बात की …
पिछले पाँच सालों से श्रीमान मोदी प्रधानमन्त्री हैं। इस कथित भ्रष्टाचार पर जिसके विषय में वे बातचीत करते रहे हैं, उस पर उन्होंने कदम क्यों नहीं उठाया? वे जाँच के लिए स्वतंत्र हैं। इसी प्रकार वे राफेल पर जाँच क्यों नहीं करा रहे हैं? राफेल घोटाले में वे जाँच का सामना करने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं?
ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी स्वयं की संलग्नता का सबूत साफ है। हमारे प्रधानमन्त्री के लिए मेरे पास एक चुनौती है। वे भ्रष्टाचार पर मेरे साथ बहस के लिए क्यों तैयार नहीं होते हैं? मैं आपको गारंटी देता हूँ कि मेरे सवाल पूछने के 15 मिनट बाद प्रधानंमंत्री अपना चेहरा दिखाने योग्य नहीं रहेंगे।
भाजपा सर्वोच्च अदालत में गयी है और उसने आप पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है और आरोप लगाया है कि आपने अंतरिम आदेश का इस्तेमाल एक राजनीतिक वक्तव्य जारी करने में किया। उसका आप कैसे जबाव देते हैं?
कानूनी प्रक्रिया जारी है, तो सबसे ऊँची अदालत पर मैं टिप्पणी नहीं करूँगा क्योंकि मैं उसका सम्मान करता हूँ।
आपका घोषणपत्र भी कहता है कि अगर आप सत्ता में आते हैं तो आप राफेल सौदे की जाँच करायेंगे …
निश्चय ही, इसकी जाँच करायी जायेगी। और इसके स्वरूप के मद्देनज़र मैं गंभीरता के साथ मानता हूँ कि इसकी जांच फ्रांस में भी होगी। किसी को तो जबाव देने की जरूरत पड़ेगी कि अनिल अंबानी की कंपनियों को 140 मिलियन यूरो से ज्यादा राजस्व में छूट फ्रांस द्वारा क्यों दी गई थी, जैसा कि हाल ही में एक फ्रांसीसी अख़बार में छपा है।
यह यों ही पीछा छोड़ देने वाली बात नहीं है। यह श्रीमान मोदी को नीचे उतार देने वाली है।
न्याय या न्यूनतम आय योजना पर आते हैं, क्या यह मतदाताओं को प्रभावित करेगी? भाजपा इसे एक चुनावी तिकड़म बताती है और पूछती है कि आप पैसा कहाँ से पायेंगे?
पहली बात तो हमने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के किसानों से कृषि ऋण माफी का वादा किया था। हमने 48 घंटों में इसे पूरा कर दिया। हमारा विगत इतिहास अपने वादों को पूरा करने का रहा है।
कांग्रेस मनरेगा, सूचना का अधिकार और दूसरे बहुत सारे प्रतिष्ठित कानून लाई। इन्हीं लोगों ने तब यह कहते हुए हमसे सवाल किये थे कि ‘‘पैसा कहाँ से आयेगा?’’ मनरेगा विश्व की सबसे बड़ी गरीबी विरोधी योजना बन गई और हमने अपना वादा पूरा किया।
न्याय की बात करें तो हमने जोड़-गणित कर लिया है। न्याय दो कारणों से जरूरी है। एक तो विमुद्रीकरण और त्रुटिपूर्ण जीएसटी के माध्यम से श्रीमान मोदी ने जो अविश्वसनीय नुकसान किया, उससे उबरने के लिए इसकी जरूरत है। यूपीए सरकार ने 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था किन्तु श्रीमान मोदी की नीतियों ने करोड़ों को फिर उसी गरीबी के चक्र में धकेल दिया जिससे वे मुक्त हो चुके थे।
भारत के सबसे ज्यादा निर्धन 25 करोड़ लोगों के हाथों में पैसा देकर न्याय उन्हें भारत के आर्थिक विकास में अर्थपूर्ण ढंग से भागीदारी करवायेगा। इस पैसे को खर्च करके वे अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बन पायेंगे। यहीं पर न्याय का दूसरा पक्ष लागू होता है – अर्थव्यवस्था का छलांग लगाकर आगे बढ़ना। श्रीमान नरेन्द्र मोदी ने अर्थव्यवस्था की क्रय क्षमता को निचोड़ लिया था।
हम अर्थव्यवस्था में उछाल लाकर उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं और विकास के आर्थिक इंजन को दौड़ाना चाहते हैं। न्याय यह सुनिश्चित करेगा कि लोगों की आवश्यकताएँ पूर्ण हो और व्यय एवं माँग में कई गुणा बढ़ोतरी हो और बड़ी संख्या में नौकरियों का सृजन हो और एक सकारात्मक आर्थिक चक्र का जन्म हो।
(इसके लिए) कहाँ से पैसा आने वाला है? यह श्रीमान अनिल अंबानी और श्रीमान मोदी के दूसरे अन्य क्रोनी-कैपिटलिस्ट दोस्तों से आने वाला है जो इस देश को लूटते रहे हैं।
यह मध्य वर्ग से नहीं लिया जाने वाला है। एक रुपया भी मध्य वर्ग से नहीं लिया जाना है। एक सकारात्मक आर्थिक कर्षण होना है, मजबूत अर्थव्यवस्था और जीडीपी विकास से यह पैसा आयेगा।
हमने वह जोड़-गणित कर लिया है और यही कारण है कि हम एक विशिष्ट रूप से सटीक बात कर सकते हैं : पाँच करोड़ निर्धनतम परिवारों के लिए सालाना 72 हजार रुपयों से 3.6 लाख करोड़ वार्षिक व्यय आयेगा। यह हमारी जीडीपी का मात्र 2 प्रतिशत है। हमने इसे जाँच लिया है, दो बार जाँच लिया है। और हम इसे संसार के सबसे बेहतर अर्थशास्त्रियों के पास ले गये और उनसे कहा कि हम इसे क्रियान्वित करना चाहते हैं। और उन सबने यही कहा कि ‘हाँ, यह अर्थपूर्ण है, आगे बढ़ो और इसे अमलीजामा पहनाओ।’
आप बाते करते रहे हैं कि ये चुनाव किस प्रकार भारत विषयक अवधारणा की रक्षा के लिए हैं और कैसे आपको भाजपा का सामना करने की जरूरत है। किन्तु अगर आप गठबंधन पर नज़र डालें तो भाजपा के पास 29 दल हैं।
आप पार्टी के रूप में एक सदस्य वाली पार्टी की भी गिनती कर रहे हैं।
यह सिर्फ संख्या है जिसकी रिपोर्ट की जा रही है। लेकिन दो बहुत ही महत्वपूर्ण राज्यों को देखिए – बंगाल और उत्तरप्रदेश के पास एक साथ 120 से ज्यादा सीटें हैं। और आपके पास गठबंधन नहीं है।
हमारा लक्ष्य हर राज्य में भाजपा को हराना है और यह सुनिश्चित करना है कि वैकल्पिक सेकुलर लोग जीतें। बंगाल का मामला ऐसा ही है जहाँ बहुसंख्यक सीटों पर ममता दी, कांग्रेस और वाम की जीत होगी।
यही स्थिति उत्तरप्रदेश की है। मैं अभी आपको बता दूँ कि उत्तरप्रदेश में भाजपा का सफाया होने वाला है। बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में हमारे गठबंधन हैं। तो आप कहाँ से इस विचार के साथ आये हैं कि हमारे पास गठबंधन नहीं है?
हम आपके और केजरीवाल के बीच ट्वीटरों का रोचक आदान-प्रदान पाते हैं …
नहीं, यह कोई आदान-प्रदान नहीं है। मैंने सिर्फ एक मत रखा है। मेरा यही कहना है कि कांग्रेस पार्टी भाजपा को दिल्ली में पराजित करना चाहती है।
मैंने अपनी पार्टी में हर एक को मना लिया है कि यह काम करना मूल्यवान और महत्वपूर्ण है। हम दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ मिल सकते हैं और सातों सीटें जीत लेंगे।
मैंने इसे बहुत स्पष्ट कर दिया है। हम लचीले हैं। अब यह श्री केजरीवाल जी की बारी है।
लेकिन उन्होंने यह कहते हुए आपके ट्वीट का जबाव दिया कि ‘आपने यूपी में गठबंध नहीं किया …’
इससे क्या होना है? दिल्ली में सात सीटें हैं। यह तो बिल्कुल स्पष्ट बात है। अगर आप उन्हें हराना चाहते हैं तो चलो एक साथ मिल जाते हैं और उन्हें पराजित कर देते हैं। अगर आप ऐसा नहीं चाहते तो फिर अलग बात है।
तो आप गठबंधन के लिए तैयार हैं?
मैंने अपने ट्वीट में कहा है कि हम तैयार हैं।
क्या आप मानते हैं कि विपक्ष को एक साथ लाने के लिए श्रीमान मोदी का विरोध करना ही पर्याप्त है?
हम भारत के युवाओं, इसके किसानों और इसके व्यवसायियों, इसकी महिलाओं, इसके वंचित तबकों और इसके गरीबों के लिए लड़ रहे हैं। हम न सिर्फ मोदी के विरोध में हैं अपितु यह लड़ाई है भारत के मूल विचार के लिए।
लेकिन आप लोगों में से कई (विपक्षी) नेता देश को श्रीमान मोदी की कार्य शैली से बचाने की बात कर रहे हैं …
श्रीमान मोदी एक विचार की अभिव्यक्ति है। वे गुस्से, घृणा, भय की अभिव्यक्ति हैं और उन्हें एक ऐसे संगठन का समर्थन प्राप्त है जो देश के संस्थानों पर कब्जा करने के लिए इस भय और गुस्से का इस्तेमाल करना चाहता है। यही वह चीज है, जिसके लिए हम वास्तव में लड़ रहे हैं। भारत के सभी संस्थानों को : सर्वोच्च अदालत को, चुनाव आयोग को, भारतीय रिजर्व बैंक को, जाँच एजेंसियों को हथियाये जाने के जो प्रयास किये गये, लोकतंत्र के मूलत्व को नष्ट करने की जो कोशिशें की गईं, उनके खिलाफ लड़ रहे हैं हम। नागपुर के एक अति विशाल संस्थान से भारत को चलाये जाने का विचार अस्वीकारणीय है। मैं आज केरल में हूँ और अगर आप मेरे शब्दों को सुने तो आप पायेंगे कि वास्तव में जो मैं कर रहा हूँ, वह है केरल के लोगों के इतिहास, आत्मा और संस्कृति की रक्षा करना जो भारत के सभ्यतागत मूल्यों का एक मूलभूत हिस्सा है।
यही मैं तमिलनाडु में करता हूँ, मैं तमिलों और उनके अभिव्यक्ति के अधिकार, उनकी संस्कृति, इतिहास, भाषा और भावनाओं का बचाव करता हूँ। देश के हर राज्य और उसके लोगों के लिए मैं यही करता हूँ।
प्रधानमन्त्री ने सुझाया कि आपने वायनाड से लड़ना इसलिए तय किया क्योंकि यह अल्पसंख्यकों के वर्चस्व वाली सीट है। भाजपा ने यह कहते हुए ट्वीट किया कि आप अमेठी में डर गये …
मैं उत्तरप्रदेश में अमेठी से लड़ रहा हूँ और दक्षिण भारत से लड़ रहा हूँ। मैं दक्षिण भारत से इसलिए लड़ रहा हूँ क्योंकि मैं दक्षिण भारत के लोगों को एक स्पष्ट संदेश देना चाहता हूँ : कि भारत का हर हिस्सा – उत्तर भारत, दक्षिण भारत, पूर्वी भारत, पूर्वोत्तर भारत और पश्चिमी भारत समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
भारत को यह महसूस करना चाहिए कि अपनी भिन्नताओं के बावजूद सभी विचार, दृष्टिकोण, भाषाएँ महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि मैं दक्षिण भारत से लड़ रहा हूँ।
यह संदेश मुखर और स्पष्ट है। श्रीमान मोदी ने दक्षिण भारत के साथ सक्रिय रूप से भेदभाव किया है और हर दक्षिण भारतीय यह जानता है। यही बात भारत के कई दूसरे हिस्सों के बारे में भी सच है।
आप तमिलनाडु जाइए और उनसे पूछिए। वे यह महसूस करते हैं। उन्हें केरल में भी यही लगता है। वहाँ ऐसा भाव है कि जिस जगह और सम्मान के वे हकदार हैं, वह उन्हें नहीं दिया गया है।
उनका मानना है कि नागपुर का एक संस्थान चेन्नई या केरल या बेंगलुरु या हैदराबाद या दूसरे जो महसूस करते हैं, वह अभिव्यक्त नहीं कर सकता। मैं उनसे सहमत हूँ।
क्या आपकी बहिन, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा वाराणसी से उम्मीदवार होने जा रही है?
मैं आपको कौतूहल में छोड़े जा रहा हूँ। कौतूहल बुरी चीज नहीं होता है !
तो आप इससे इनकार नहीं कर रहे हैं?
मैं न इसकी पुष्टि कर रहा हूँ और न ही इससे इनकार कर रहा हूँ।
अगर मोदी जीत जाते हैं तो कांग्रेस और राहुल गाँधी यहाँ से आगे कहाँ जायेंगे?
श्रीमान नरेन्द्र मोदी को लोग नकार देंगे और वे अगली सरकार गठित नहीं करेंगे। लेकिन मुझे सिर्फ यही कहना है कि कांग्रेस पार्टी इस देश की आवाज़ की अभिव्यक्ति है। यह इस देश की सुनती है और यह देश उसे जो बताता है, उसी के अनुसार प्रतिक्रिया करती है। हमारा घोषणापत्र इसका एक उदाहरण है। दूसरी चीज स्वाधीनता की लड़ाई में रही हमारी भूमिका है।
फिर हरित क्रान्ति, श्वेत क्रान्ति और दूरसंचार क्रान्ति में जो हमने किया, वह है।
कांग्रेस पार्टी और कुछ नहीं बल्कि भारतीय लोगों की अभिव्यक्ति और भावना है। अत: कांग्रेस पार्टी हमेंशा रहेगी, हमेंशा तब तक शक्तिशाली रहेगी जब तक कि भारत के लोग जो कह रहे हैं, सावधानीपूर्वक उसे सुनने के लिए यह यथेष्ट रूप से विनम्र बनी रहेगी।
अनुवाद – प्रमोद मीणा
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