bhagwat rawat
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साहित्य
कविता का जनतन्त्र और जनतन्त्र की कविता
इक्कीसवीं सदी की आरम्भिक हिन्दी कविता को बीसवीं सदी के अन्त की हिन्दी कविता का ही विस्तार माना जा सकता है। तो प्रश्न यह उठेगा कि बीसवीं शती की कविता क्या है, उसकी प्रवृत्तियां क्या हैं, पहचान क्या है,…
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