निजी क्षेत्र के हाथ में होगी केन्द्र सरकार?
पाँच सालों में केन्द्र सरकार में भर्तियाँ नहीं हुईं। अब यह हाल है कि सचिव, उपसचिव, निदेशक के पदों पर निजी क्षेत्र से 400 बड़े अधिकारी आयात किये जा रहे हैं। इसका एक मतलब यह भी है कि सरकार के सभी महत्वपूर्ण विभागों को चलाने की ज़िम्मेदारी अब निजी क्षेत्र के हाथ में होगी।
हर बात के लिए पिछली सरकारों को दोष देने की आदत से यह पाप नहीं छिप सकता कि भाजपा के दूसरे मोदी कार्यकाल में केन्द्र सरकार का संचालन निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया!
हल्ला ब्रिगेड का काम है, अपने पाप के लिए किसी और को निशाना बनाकर प्रचार का तूफ़ान खड़ा करना। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बैलाडिला के जंगलों और पहाड़ों को काटकर लौह अयस्क निकालने का ठेका 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद दो महीने के भीतर अदानी को दे दिया गया था। बेशक यह ठेका रमन सिंह सरकार ने दिया था और ग्रामसभा की फ़र्ज़ी सहमति भी तैयार कर ली थी। अब आदिवासियों के प्रतिरोध से नयी सरकार ने वह ठेका स्थगित कर दिया तो संघ प्रचारक “शहरी नक्सलियों” दोष मढ़ने लगे हैं!
अब केन्द्र सरकार को ही निजी क्षेत्र के अधिकारी ठेके पर चलाएँगे तो लोकहित के लिए कितनी जगह रहेगी? फिर भी कुछ टुकड़ों पर वोट बटोर लिए जाएँगे! अब तक राष्ट्रीय संपदा की निजी लूट चल रही थी, अब सीधे राष्ट्र ही निजी हाथों में लूट के लिए सुपुर्द किया जा रहा है।
नौजवान बेरोज़गार भटक रहे हैं, उन्हें घृणा की कार्रवाइयों में इस्तेमाल किया जा रहा है और वे बारूद बनकर गौरव अनुभव कर रहे हैं लेकिन सरकार रोज़गार पर ध्यान न देकर सारे साधन, सारे पद और सारी संपदा निजी पूँजीपतियों को सौंपने के “धर्म” में निष्ठापूर्वक लगी है। उसे कोई परवाह नहीं है।