अयोध्या में राम मंदिर इन दिनों खास तौर पर राजनीति के परवान चढ़ रहा है। लोकसभा के चुनाव नजदीक आते ही इस मुद्दे पर सियासतें गरमाने लग जाती हैं। हर कोई खुद को राम भक्त साबित करने की लाइन में लग जाता है। सियासी बयान बाजियों का बाजार सजने लगता है। इसी तरह का माहौल इस वक्त बनता हुआ दिखाई दे रहा है। कभी मंदिर की चौखट पर कदम ना रखना वाले भी राम नाम के नारों के साथ मैदान नें दिखाई दे रहे हैं। लिहाजा इस बात से एक ही प्रश्न हमारे जहन में आता है कि क्या हकीकत में मंदिर बनवाने की तैयारी हो रही है या फिर सियासी मैदान की रणनीति तैयार की जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी काफी लंबे समय से अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कहती आ रही है।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि हमारी सरकार अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए कटुबद्ध हैं। हम अपने वादे से इंच भर भी पीछे हटने वाले नहीं हैं। ये हमारा देश की जनता से वादा है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि अयोध्या में जो गैर विवादित भूमि है, उसे रामजन्मभूमि न्यास को वापस सौंप दिया जाए। सरकार की ओर से कहा गया है कि विवादित भूमि सुप्रीम कोर्ट अपने पास रखे। केंद्र सरकार ने अयोध्या में विवादित भूमि छोड़कर बाकी अधिगृहीत भूमि जमीन मालिकों को वापस देने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी है। केंद्र सरकार ने 1993 में केंद्र ने अयोध्या में 67 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी। यहां 2.77 एकड क्षेत्र में मस्जिद थी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने सरकार की ओर से होने वाले इस तरह के किसी फैसले का विरोध करने की तैयारी की है। उनका कहना है कि अयोध्या में किसी तरह के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक है। अगर कुछ भी हुआ तो वो सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। राम मंदिर विवाद मामले में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बड़ा बयान दिया है. राम मंदिर पर बोलते हुए जावड़ेकर ने कहा है भारतीय जनता पार्टी चाहती है की मंदिर वहीं बने. सरकार चाहती है की न्यासा को जमीन मिले. इसलिए सरकार ने कोर्ट से इजाजत मांगी है.
वही इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन पर ही मस्जिद थी। उसी का विवाद है। केंद्र सरकार तो मंदिर को लेकर राजनीति कर रही है।
केंद्र सरकार अब विकास और रोजगार पर बात छोड़कर मंदिर मामले में आगे आ रही है। मुस्लिम पैरोकार हाजी महबूब का ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी छवि बचाने के लिए याचिका दाखिल की है। इससे तो भाजपा की छवि धूमिल हो रही है। भाजपा अब राम मंदिर पर राजनीति कर रही है। यह तो देश के साथ मुसलमान के साथ गलत हो रहा है। जब सारी जमीन का अधिग्रहण हो गया था तो फिर वापस लेने की क्या जरूरत। मेरा तो यह मानना है कि जिसके हक में हो फैसला उसी को सारी जमीन दी जाए।
आइये जानते हैं कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद स्थल में कैसे बदल गया है। 1850 में पहली बार मंदिर को लेकर सांप्रदायिक दंगा फैला और सन 1946 में हिंदू महासभा ने इस पर आंदोलन शुरू किया। सन 1528 में अयोध्या में मस्जिद का निर्माण हुआ जहां मान्यता है कि ये देवता राम के जन्म स्थल पर बनी है। 1859 में ब्रितानी शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगाई। भीतरी हिस्से में मुसलमानों, बाहरी हिस्से में हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी गई। 22 दिसंबर 1949 में वहां राम की मूर्ति स्थापित की गई और 1964 से विश्व हिंदू परिषद राम मंदिर पर अपना आंदोलन शुरू किया। 1980 से बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन का मोर्चा संभाल लिया और 1986 में विवादास्पद स्थल पर हिंदुओं ने पूजापाठ शुरू कर दिया। 1990 में एल के आडवाणी ने राम मंदिर के लिए रथयात्रा शुरू की है और 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादास्पद ढांचे को गिरा दिया। सन 1949 में भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गयीं और सरकार ने स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया है।
साल 1986 में जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर विवादित मस्जिद का ताला खुला और इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति बनी थी। साल 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर के लिए रथयात्रा निकाली थी। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 का दिन सबसे विवादित दिन है क्योंकि यहां बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराया गया। इसके बाद देश भर में सांप्रदायिक दंगे फैले जिनमें 2000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
13 मार्च, 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने को कहा और शिलापूजन की इजाजत देने से इनकार कर दिया। वहीं 24 नवंबर, 2009 को लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश की गई। इसमें अटल बिहारी वाजपेयी, मीडिया को दोषी ठहराया गया। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा। राम मंदिर, सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़े में जमीन बंटी। इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला था कि विवादित 2.77 एकड़ 3 बराबर हिस्सों में बंटे। इसके तहत रामलला मूर्ति की जगह रामलला विराजमान को मिलने, राम चबूतरा, सीता रसोईं निर्मोही अखाड़े को मिलने और बचा एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलने का फैसला आया है। लेकिन 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद (अंहिप) के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने भारतीय जनता पार्टी पर राम मंदिर मुद्दे पर केवल वोट की राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि अगर उनकी पार्टी को सत्ता मिली तो एक हफ्ते में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि यदि भाजपा राम मंदिर का निर्माण करा देती तो उसे वोट नहीं मिलता। यही वजह है कि भाजपा ने न तो राम मंदिर निर्माण शुरू कराया है और न ही आगे शुरू कराएगी। उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में उनकी नई पार्टी पूरे उत्तर प्रदेश में अपने प्रत्याशी उतारेगी साथ ही सत्ता में आने के एक हफ्ते के भीतर राम मंदिर का निर्माण शुरू
लेखिका सबलोग के उत्तर प्रदेश ब्यूरो की प्रमुख हैं|