मनोहर लाल को हुड्डा वाली गलती दोहराने से बचना होगा – अजय दीप लाठर
- अजय दीप लाठर
कौशिक, बृजेंद्र को मिल सकती है झंडी वाली कार
लोकसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं। हरियाणा की दस की दस सीट मतदाताओं ने नरेन्द्र मोदी की झोली में डाल दी हैं। लेकिन, अब सवाल खड़ा होता है कि मोदी मंत्रिमंडल में कौन शामिल होगा और कौन दावेदारी के बावजूद शामिल होने से वंचित रहेगा? इस सवाल का जवाब हर कोई अपने हिसाब से दे रहा है, लेकिन मैरिट की बात की जाए तो सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक व हिसार के सांसद बृजेंद्र सिंह का पलड़ा हरियाणा के बाकी सांसदों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।
देखा जाए तो 2014 में केन्द्र सरकार में फरीदाबाद के सांसद कृष्णपाल गुर्जर व गुड़गाँव से सांसद राव इंद्रजीत को मन्त्री पद से नवाजा गया। दोनों ही राज्य मन्त्री रहे। एक बार फिर से ये जीत कर संसद पहुंचे हैं। लिहाजा, फिर से मन्त्री बनने की दावेदारी इनकी काफी मजबूत है। लेकिन, समीकरण इन पर इस बार फिट बैठते नजर नहीं आ रहे।
खबर खखाटा 24*7 को राजनीतिक जानकार बताते हैं कि किसी भी स्टार प्रचारक के न आने के बावजूद गुर्जर की बड़ी जीत उन्हें अग्रिम पंक्ति में तो रख रही है, परन्तु अगले कुछ समय में राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए उन्हें मंत्रिमंडल में ऐडजस्ट करना मुश्किल होगा। गुर्जर को मन्त्री बनाने के पीछे गुर्जर मतदाता को रिझाने वाली बात आती है, जबकि अब निकट भविष्य में किसी भी ऐसे राज्य में चुनाव नहीं होने वाले, जिसमें बीजेपी को गुर्जर मतददाताओं पर डोरे डालने की जरूरत हो। चुनाव में गुर्जर के विरोध को लेकर जो रिपोर्ट हाईकमान तक पहुँची, वे भी उनके मन्त्री बनने की राह में रोड़ा डाल सकती हैं। पार्टी नेताओं का भी मानना है कि गुर्जर मोदी की सुनामी में ही जीते हैं। तमाम पहलुओं पर गौर करें तो गुर्जर के मन्त्री बनने की सम्भावना इस बार काफी कम दिखाई दे रही हैं।
बात आती है राव इंद्रजीत की। अहीरवाल के दम पर कुर्सी हासिल करने वाले इंद्रजीत का मायाजाल इस बार बीजेपी में स्थापित अहीरवाल के एक और बड़े नेता तोड़ सकते हैं। करीब 50 वर्षीय राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट हैं। मोदी-शाह के विश्वासपात्र हैं। और, इन्हीं सभी कारणों से बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को तैयार हैं। अगर अमित शाह केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होते हैं तो फिर मोदी-शाह भूपेंद्र यादव को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनवाने में कोई कसर छोड़ने वाले नहीं हैं। इसकी वजह पूरे देश के यादव वोटरों को साधना भी रहेगा। भूपेंद्र यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उत्तरप्रदेश के मुलायम यादव, बिहार के लालू प्रसाद यादव, हरियाणा के अहीरवाल के वोटबैंक को बीजेपी सीधे-सीधे साध सकती है। भूपेंद्र यादव उत्तरप्रदेश व बिहार में बीजेपी के लिए जमीनी स्तर पर कार्य भी कर चुके हैं। ऐसे में अगर भूपेंद्र यादव को लेकर किसी तरह की मंत्रणा पार्टी में चलती है तो फिर राव इंद्रजीत का मन्त्री पद हासिल करने का अरमान इस बार धरा रह जाएगा। अहीरवाल से दो लोगों को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की सम्भावना से बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्र भी खबर खखाटा 24*7 को इंकार करते हैं।
खबर खखाटा 24*7 ने जब अलग-अलग राजनीतिक विश्लेषकों से बात की तो नए मंत्रिमंडल में उनके फेवरेट के तौर पर हरियाणा से दो नाम सामने आए। पहला नाम सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक का। कौशिक को लेकर तर्क है कि उन्होंने हरियाणा के दो बड़े परिवारों को राजनीतिक शिकस्त दी। घर से बाहर पहली बार चुनाव लड़ने निकले पूर्व मुख्यमन्त्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को व चौटाला परिवार से दिग्विजय चौटाला को हराया। एक साथ हरियाणा के दो बड़े राजनीतिक परिवारों को हराना उनका प्लस प्वाइंट है। लेकिन, रमेश कौशिक का नेगेटिव प्वाइंट उनकी विश्वसनीयता पर अब भी हर किसी को शक होना है। बंसीलाल सरकार में मन्त्री रहते हुए कौशिक की गिनती उनकी सरकार गिराने वालों में आज भी होती है। वे कांग्रेस में आए तो हुड्डा के नेतृत्व वाली पहली सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे। बाद में बीजेपी में चले गए। भले ही दूसरी बार सोनीपत से सांसद बने हैं, लेकिन उनकी विश्वसनीयता पर अब भी सवाल हैं और पार्टी के प्रति निष्ठा को लेकर शीर्ष नेतृत्व उन्हें संदेह की नजर से ही देखता है।
चुनाव परिणाम के बाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल के दावेदारों में राजनीति के जानकार हरियाणा से दूसरा नाम बृजेंद्र सिंह का जोड़ते हैं। आईएएस की नौकरी छोड़कर हिसार का रण जीतने वाले बृजेंद्र सिंह का पहला प्लस पॉइंट प्रदेश के दो दिग्गज परिवारों को शिकस्त देना है। उन्होंने भजनलाल परिवार व चौटाला परिवार को मात दी। पिछली लोकसभा में किसानों के मुद्दों को लेकर मुखर रहे दुष्यंत चौटाला को हराना उन्हें कुछ और अतिरिक्त अंक प्रदान करता है। मंत्रिमंडल में शामिल होने के उनके पक्ष में कई पॉइंट बनते हैं। पहला, आईएएस की नौकरी छोड़कर सांसद बनना। दूसरा, मुखर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह का बेटा होना। तीसरा किसान-कमेरे के मसीहा दीनबंधु छोटूराम का अगला राजनीतिक उत्तराधिकारी बनना। चौथा, अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश के जाटों को लोकसभा चुनाव की तरह अपने साथ जोड़े रखने की बीजेपी की कोशिश को आगे बढ़ाना। बृजेंद्र सिंह का कोई नेगेटिव पॉइंट कोई भी राजनीतिक विश्लेषक अभी ढूंढ नहीं पाया है। इसलिए खबर खखाटा 24*7 को उन्हें मन्त्री पद मिलने की प्रबल सम्भावना नजर आती हैं।
वहीं, चुनाव परिणाम के बाद एक और खिचड़ी पकाने की शुरुआत मुख्यमन्त्री मनोहर लाल के करीबियों ने कर दी है। इनकी ओर से करनाल से सांसद बने संजय भाटिया का नाम मुख्यमन्त्री से कहलवाया जा रहा है। लेकिन, मनोहर लाल को अगर भूपेंद्र हुड्डा नहीं बनना है तो उन्हें इस गलती से बचना होगा। मुख्यमन्त्री के दरबारी बीजेपी की इस बंपर जीत का श्रेय मनोहर को देने से बाज नहीं आ रहे, ऐसे में कच्चे कान मुख्यमन्त्री के लिए दुखदायी साबित हो सकते हैं। मुख्यमन्त्री को सबसे पहले सोचना व समझना होगा कि इस जीत के हकदार न तो वे खुद हैं और न ही बीजेपी है। जीत का हकदार सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी, उनका हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद है। ऐसे में करनाल से खुद विधायक होने के बाद अगर वे पंजाबियत में मोह में फंस कर संजय भाटिया का नाम आगे बढ़ाते हैं तो हरियाणा के बाकी लोगों में उनके प्रति नकारात्मक धारणा पैदा हो सकती है। यह बिल्कुल उसी तरह होगा, जैसे लोग भूपेंद्र हुड्डा को रोहतक का मुख्यमन्त्री कहने लगे थे। बाद में जनता ने उन्हें रोहतक तक ही सीमित किया और इस बार वह किला भी छीन लिया। ऐसे में भाटिया को लेकर मुख्यमन्त्री की हठधर्मिता उन्हें सिर्फ करनाल तक सीमित करने के लिए काफी साबित हो सकती है।
हालांकि, मंत्रिमंडल में शामिल करना या न करना प्रधानमन्त्री के विवेक पर निर्भर करेगा। कुछ सिफारिश नागपुर से भी चलेगी, कुछ सांसद के नेगेटिव, पॉजिटिव पॉइंट भी देखे जाएंगे। कुछ संबंधित को मन्त्रीपद देने या न देने का भविष्य में पड़ने वाला असर भी देखा जाएगा, इसलिए आने वाले दिन हरियाणा के किन सांसद के खास होंगे, यह देखने वाली बात होगी।
लेखक हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार हैं और खबर खखाटा 24*7 नामक चर्चित व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन हैं.
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