सवाल पर बवाल से भड़का हरियाणा!
हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्तासीन भाजपा तरकश के सारे तीर को आजमाने में जुटी है। सीएम मनोहर लाल विदेश दौरे पर हैं और दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश अध्यक्षों की क्लास लगा रहे हैं। इस बीच हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के एक सवाल ने समूचे हरियाणा की राजनीति में आग लगा दी है। एक सवाल और उस पर पूरे हरियाणा में बवाल जारी है। पक्ष से लेकर विपक्ष तक सारी मर्यादाओं को छोड़कर हंगामा कर रहा है। पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दे रहा है तो विपक्ष मुख्यमंत्री से लेकर आयोग के चेयरमैन का इस्तीफा मांगने पर अड़ा है।
ब्राह्मण समाज पर आयोग का विवादित सवाल
हरियाणा कर्मचारी आयोग ने जेई की परीक्षा में ब्राह्मण समाज से जुड़ा एक सवाल पूछ दिया। परीक्षा हो गई, परीक्षार्थी कमरे से बाहर आ गए। लेकिन साथ आया तो एक ऐसा विवाद, जिसकी उम्मीद ना तो मनोहर सरकार ने की थी और ना ही आयोग ने। दरअसल, आयोग ने पूछा था कि सुबह-सुबह किसे देखने से अपशगुन होता है, ब्राह्मण की बेटी या काले ब्राह्मण को। बस, इसी पर हरियाणा में ब्राह्मण समाज भड़क गया और सवाल से शुरू हुई जिच सड़कों पर आ गई। सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पर इस्तीफे का दबाव दिया जाने लगा है। जबकि आयोग के अध्यक्ष भारत भूषण भारती को बर्खास्त करने की मांग की भी लगातार जारी है। सवाल सेट करने वालों पर भी कार्रवाई का डंडा चलाने की मांग की जा रही है।
शिक्षा मंत्री कार्रवाई नहीं करेंगे, बस बयान देंगे…
आयोग का सवाल हरियाणा के लिए एकमात्र उदाहरण नहीं है। जाट आरक्षण हो या फिर एसवाईएल, सभी में जबरदस्त राजनीति होती है और बयानबाजी तो उससे ज्यादा। फिलहाल ब्राह्मण समाज आंदोलन के मूड में आ चुका है। पंचकूला, यमुनानगर से लेकर हरियाणा के दूसरे जिलों में विरोध-प्रदर्शन का दौर जारी है। हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा का भी विवाद पर बयान सामने आ गया है। शर्मा ने कहा है कि यह किसी साजिश का नतीजा है। लेकिन खुद की सरकार में कौन साजिश करेगा, इस पर वो खामोश रह जाते हैं। शिक्षा मंत्री कार्रवाई की जगह याचक की मुद्रा में आ चुके हैं और बस कार्रवाई का ढिंढोरा पीट रहे हैं। दरअसल, भाजपा इस मुद्दे से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में जुटी है। इसलिए प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक बस बयानबाजी का शर्मनाक दौर जारी है।
सीएम साहब लौंटेगे, तब करेंगे कार्रवाई!
हरियाणा में निवेश बढ़ाने के लिए सीएम मनोहर लाल खट्टर सात दिवसीय इजराइल और यूके के दौरे पर गए हैं। इजराइल के बाद यूके में उद्योगपतियों से मुलाकात करके निवेश का आमंत्रण दिया है। कितना निवेश होगा, यह अभी तक साफ नहीं है। विपक्षियों ने तो उनकी विदेश यात्रा पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि हैपनिंग हरियाणा से आए निवेश का भी किसी तरह से लेखा-जोखा नहीं दिया गया। खैर, आयोग के विवादित बयान पर अभी तक सीएम साहब ने कुछ नहीं बोला है। सिर्फ क्षत्रप और सैनिक ही कार्रवाई की घुट्टी पिलाने में जुटे हुए हैं।
विपक्षियों के हाथ में लगी बटेर…
आयोग के विवादित सवाल ने मानो हरियाणा के विपक्षियों के हाथों में अंधे की तर्ज पर बटेर थमा दिया है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीधे-सीधे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आयोग के सवाल से ब्राह्मण समाज को ठेस लगा है। जबकि कांग्रेस पार्टी के विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने भी आयोग पर आरोप मढ़ते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। दूसरे नेतागण भी आरोप मढ़ने और सरकार से इस्तीफा मांगने में पीछे नहीं है। दूसरी तरफ ब्राह्मण समाज ने मुख्यमंत्री को काला झंडा दिखाने के साथ ही विरोध करने की घोषणा कर दी है।
गृहमंत्री से मिले फेडरेशन के पदाधिकारी
आयोग के विवादित सवाल पर जारी बवाल हरियाणा के रास्ते दिल्ली तक पहुंच गया है। सोमवार को वर्ल्ड ब्राह्मण फेडरेशन के डेलिगेशन ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करके विवादित सवाल पर कार्रवाई की मांग की। 45 मिनट की मुलाकात के दौरान आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती को बर्खास्त करने के साथ ही ठोस कदम उठाने की मांग की गई। गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है कि सीएम साहब के विदेश दौरे से लौटने के बाद कार्रवाई होगी। कार्रवाई कितनी कड़ी होगी, इसका पता तो आने वाले समय में ही चलेगा। लेकिन इतना तय है कि निवेश के सपने लेकर हरियाणा लौट रहे सीएम का स्वागत सवाल का बवाल जरूर करेगा।
गुजरते दिनों के साथ गहराएगा विवाद
दरअसल, हरियाणा में जाट आरक्षण के बाद जिस तरह की कास्ट बेस्ड राजनीति शुरू हुई है, उसका उदाहरण भी आयोग के खिलाफ चल रहे आंदोलन में देखने को मिल रहा है। सवाल पर बयानवीरों के तीर हर दिन सामने आते हैं। पक्ष-विपक्ष से लेकर निर्दलीय नेता भी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद अभी तक स्थिति साफ नहीं हो सकी है। लेकिन इतना साफ है कि जिस तरह से जाट आरक्षण के बाद भाजपा सरकार ने वोटों के ध्रुवीकरण को चुनाव जीतने के मंत्र के रूप में ग्रहण किया, कहीं ना कहीं ब्राह्मणों के विवाद के बीच भी भाजपा खुद के लिए संजीवनी तलाशने में जुट जाएगी। यह सवाल इसलिए भी जायज है कि हरियाणा के सीएम से लेकर मंत्री तक विवादित बयानों के लिए जाने जाते हैं। और, कार्रवाई के नाम पर मिलता है तो सिर्फ खोखला आश्वासन।
अभिषेक मिश्रा
लेखक टीवी पत्रकार हैं.
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