
दिल्ली में हुए बम धमाके के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी सुर्खियों में है। दिल्ली पुलिस के साथ-साथ कई बड़ी एजेंसियां इस धमाके की जांच कर रही हैं। इस मामले में अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और कई लोग हिरासत में है।
दिल्ली पुलिस के अलावा ईडी और एनआईए जैसी बड़ी ऐजेंसिया लगातार जांच में जुटी हुई है। वहीं अब फरीदाबाद पुलिस ने भी एसीपी क्राइम वरुण दहिया की अगुआई में SIT बना दी है। यह टीम दिल्ली ब्लास्ट के लोकल कनेक्शन की जांच करेगी।

फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता ने कहा, ‘अल -फलाह यूनिवर्सिटी की जांच के लिए एक SIT बनाई गई है। SIT ने सभी पहलुओं की जांच शुरू कर दी है। टीम को हर उस कनेक्शन को मैप करने के लिए कहा गया है जिससे आरोपी डॉक्टर कैंपस से काम कर रहे थे।
गिरफ्तार चेयरमैन को यूनिवर्सिटी कैंपल में लाने की तैयारी
इस मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की गहराई से जांच कर रहा है। साथ ही अब गिरफ्तार किए गए चेयरमैन जावेद अहमद को यूनिवर्सिटी कैंपल लाने की भी तैयारी की जा रही है। जानकारी के मुताबिक मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के आरोपों के बारे में तथ्यों को जानने के लिए ED गिरफ्तार चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को यूनिवर्सिटी कैंपस लाएगी। जिससे फंडिंग और गलत तरीके से स्टूडेंट्स से ली है फीस को लेकर जानकारी ली जाएगी।

415 करोड़ का मनी लॉन्ड्रिंग मामला
आपको बता दें कि हाल ही में अल- फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन और फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया था। लगगभग 415 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। ED ने बताया कि 18 नवंबर को दिल्ली में 19 जगहों पर छापेमारी की गई, जिसमें अल-फलाह यूनिवर्सिटी के साथ जावेद सिद्दीकी और अन्य लोगों के घर भी शामिल थे। इस दौरान ईडी ने 48 लाख रुपये नकद, कई डिजिटल डिवाइस और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए और जावेद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया।
जावेद सिद्दीकी को कोर्ट में पेश करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत को बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी का अल-फलाह ट्रस्ट और यूनिवर्सिटी पर पूरा नियंत्रण था। वह ऐसे कई कंपनियों को भी चलाते थे, जिनका इस्तेमाल ट्रस्ट के पैसों को इधर-उधर करने में किया जाता था। इसके बाद बीते बुधवार देर रात 1 बजे एक विशेष अदालत ने सिद्दीकी को 13 दिनों की ED हिरासत में भेजा। अब ईडी जावेद सिद्दीकी से पुछताछ में जुटी है।
दिल्ली बम ब्लास्ट: 6 गिरफ्तार आतंकियों में 3 डॉक्टर
बता दें कि 10 नवंबर 2025 को दिल्ली में लाल किले के पास बम धमाका हुआ था। जिसमें लगभग 13 से लोगों की मौत हो गई और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए। अल- फलाह यूनिवर्सिटी के फरीदाबाद परिसर में स्थित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर के रूप में काम करने वाले उमर नबी ने इस हमले को अंजाम दिया था।
डॉ. आदिल अहमद
लेकिन जांच के दौरान पता चला कि इस हमले के पीछे डॉक्टरों का पूरा आतंकी गिरोह शामिल था। दिल्ली धमाके से कुछ दिन पहले पुलिस ने भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियारों के साथ दो डॉक्टरों को गिरफ्तार किया था। जम्मू- कश्मीर पुलिस ने काजीकुंड, कश्मीर के रहने वाले 38 साल के डॉ. आदिल अहमद को यूपी के सहारपुर से गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि जैश के धमकी वाले पोस्टर लगाए, साथ ही उसके लॉकर से एके 47 बरामद की गई।
डॉ. मुजम्मिल शकील
आदिल अहमद की निशानदेही पर 36 साल के डॉ. मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी हुई। पुलवामा का रहने वाला शकील फरीदाबाद की अल- फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर के तौर पर काम कर रहा था। उसने अपने किराए के कमरे में भारी मात्रा में विस्फोटक जुटाकर रखा था।

आदिल अहमद और मुजम्मिल शकील की गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद उमर नबी जो फरीदाबाद की अल- फलाह यूनिवर्सिटी में ही काम करता था उसने दिल्ली में बम धमाका कर दिया। इस धमाके में उमर नबी भी मारा गया।
डॉ. शाहीन सईद
इसके बाद फरीदाबाद की अल- फलाह यूनिवर्सिटी जांच के घेरे में आ गई और फिर यहां से कई लोगों की गिरफ्तारी हुई। दिल्ली बम धमाके के बाद लखनऊ की रहने वाली 45 साल की डॉक्टर शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। शाहीन सईद मुजम्मिल शकील की करीबी है और उसकी कार से एक राइफल बरामद की गई।

मुफ्ती इरफान
इसके बाद शोपियां, साउथ कश्मीर के रहने वाले 26 साल मुफ्ती इरफान को गिफ्तार किया गया। मुफ्ती इरफान GMC का पूर्व कर्मचारी था। उस पर आरोप है कि उसने डॉक्टरों को कट्टरपंथ की तरफ मोड़ा।
आमिर राशिद
जम्मू कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले 30 साल के आमिर राशिद को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि वह ब्लास्ट वाली कार की खरीद में मददगार बना था।

जसीर बिलाल
अनंतनाग के रहने वाले 26 साल के जसीर बिलाल को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जसीर बिलाल पर आरोप है कि उसने दिल्ली में हुए ब्लास्ट की साजिश में टेक्निकल सपोर्ट दिया था।

इनके अलावा अल फलाह यूनिवर्सिटी के 200 से ज्यादा डॉक्टर और स्टाफ की जांच चल रही है। एजेंसियां कैंपस पर अस्थायी कमांड सेंटर स्थापित कर चुकी हैं। 1,000 से अधिक लोगों से पूछताछ हुई, कई संदिग्धों ने मोबाइल डेटा डिलीट किया, जिसकी रिकवरी हो रही है।
वहीं सूत्रों ने बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर में तलाशी के दौरान, अधिकारियों को लाइब्रेरी में एक हार्ड डिस्क मिली, जिसमें सभी डिजिटल डिवाइसों, टैली डेटा आदि का बैकअप था और उसे अन्य दस्तावेजों के साथ जब्त कर लिया गया है। फिलहाल जांच जारी है।










