एकल नाटक
-
स्तम्भ
नाटक : एकल का वृहद संसार
अब एकल कोई अंजान शब्द नहीं रहा। आये दिन नगरों-महानगरों व राजधानियों में एकल मंचित होते रहते हैं। पिछले कुछ नाट्य महोत्सवों में तो एकल प्रस्तुतियों की भरमार रही । अब तो इसका एक क्रेज़ सा बन गया है। हर…
Read More »