raksha geeta
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सिनेमा
‘क्या दर्शक आम जनता में तब्दील होगा’ जवान की ललकार
1996 में कमल हसन के डबल रोल साथ तमिल फिल्म आई थी इंडियन’ हिन्दी में ‘हिन्दुस्तानी’। एक स्वतंत्रता जो सेनानी भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करना चाहता है लेकिन उसका अपना बेटा भ्रष्टाचार में लिप्त है। 1998 अनिल कपूर…
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सिनेमा
बिच्छु का बोझ ढोना छोड़ो ‘डार्लिंग्स’
घरेलू हिंसा पर बनी इस फिल्म की थीम एक अन्य लघु कहानी से जोड़कर सार्थक बनाने की कोशिश की गई है कि मेंढक ने बिच्छु को नदी पार कराने के लिए अपनी पीठ पर बिठाया लेकिन बिच्छु ने मेंढक…
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सामयिक
धागा प्रेम का टूटे जो, गठबन्धन करवाएं! उड़ने को तरसा करे, जो बन्धन में बन्ध जाये!!
समाज में प्रेम-सम्बन्ध टूटा ही करते हैं तब वैवाहिक गठबन्धन और भी लाजिमी हो जाता है चूँकि प्रेमी मन उन्मुक्त आकाश में विचरण करना चाहता है अत: उसे विवाह द्वारा सामाजिक बन्धन में बाँध दिया जाता है स्पष्ट है…
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सिनेमा
‘TWO’ Parable Of Two’ सत्यजीत रे
बाँसुरी की जीत ‘यूट्यूब’ की शोर्ट फ़िल्में मुझे हमेशा आकर्षित और प्रभावित करतीं रहीं है और मैं यहाँ बेहतरीन फ़िल्में खोजती रहती हूँ, इसी प्रक्रिया में मुझे सत्यजीत रे की एक शोर्ट फ़िल्म ‘Two’ देखने को मिली। डिस्क्रिपशन…
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समाज
मैं ‘बसंती हवा’ होना चाहती हूँ
जी हाँ, मैं बसंती हवा बनना चाहती हूँ और इसके लिए मुझे बसंत की दरकार नहीं है, ऋतुओं के राजा बसंत और उसकी बसंती हवा की साहचर्यता सदियों से मानव में उमंग और ऊर्जा का संचार करती आ रही…
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सिनेमा
श्याम सिंह रॉय : ‘स्त्री किसी की दासी नहीं; भगवान की भी नहीं’
तेलगु मूल की फिल्म ‘श्याम सिंह रॉय’ का यह संवाद आपको फ़िल्म देखने के लिए आकर्षित कर सकता है। अंग्रेजी सबटाइटल्स के साथ फिल्म को हिन्दी पट्टी में भी खूब पसन्द किया जा रहा है कारण इसका रहस्य और…
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सिनेमा
परम्परागत रूढ़ियों से टक्कर लेती ‘छोरी’ के ‘नन्हे कदम नई सोच’
हिन्दी सिनेमा में नये आईडिया, स्क्रिप्ट और नयी सोचतो पहले भी कम ही थे, अब तो मानो अकाल-सा पड़ गया है इसलिए दक्षिण भारतीय फिल्मों के साथ अब मराठी फिल्मों के भी रीमेक बन रहें है। अमेज़न प्राइम टाइम…
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सिनेमा
M फॉर माँ, मेड और मैडी
नेटफ्लेक्स वेब सीरिज़ ‘मेड’ स्टेफ़नी लैंड की आत्मकथा “मेड: हार्ड वर्क, लो पे, एंड मदर्स विल टू सर्वाइव” से प्रेरित है। ‘मेड’ सिर्फ मेड (सफाईकर्मी) के रूप में एलेक्स की कहानी नही है बल्कि पितृसता से त्रस्त ‘बयोपोलर डिसऑर्डर’…
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सिनेमा
‘शतरंज’ की बिसात पर सोशल मीडिया ‘के खिलाड़ी’
आप सह्रदय समाज से हैं इसलिए मैं निश्चिन्त होकर मान ले रहीं हूँ कि ‘शतरंज के खिलाड़ी’ कहानी से आप परिचित होंगे ही, जिसमें वे नवाबी शौक में डूबे और जनता को ‘डुबाते’ सामंती, जागीरदारों के ‘शतरंज की दलदल’…
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सिनेमा
साम्प्रदायिक गर्म हवाओं के बीच ‘तूफ़ान’ की जद्दोजहद
सिनेमाघरों को मिस करने वाले हमारे निर्माता अब ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर भी शुक्रवार को फिल्म रिलीज़ कर शायद अपनी परम्परा से से जुड़े रहना चाहते हैं। क्योंकि कोरोना ने सिनेमाघरों को भी रुग्ण कर दिया, अधिकतर सिनेमा मृतप्राय हो…
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