rajan agrwal
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सामाजिक न्याय के अस्पताल में शिक्षा की शव-परीक्षा
अनिल कुमार राय ‘सामाजिक न्याय’, ‘सबका साथ, सबका विकास’ आदि आजकल बास्केट बॉल गेंद की तरह हर राजनीतिज्ञ के हाथ में उछलता हुआ जुमला है और हर दल इस गेंद को अपने पाले में करने की कोशिश में…
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जबाब सिर्फ और सिर्फ जनता के पास है – तमन्ना फरीदी
लोकसभा चुनाव की तिथि का एलान अब किसी भी समय बज सकता है. चुनाव आते ही सर्वे का दौर शुरू हो जाता है सर्वे के मुताबिक लोकसभा चुनाव में एनडीए को 291 सीटें मिल सकती हैं, जो कि बहुमत से…
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चर्चा में
मध्य वर्ग को फायदा पहुँचाने वाला बजट – तमन्ना फरीदी
बजट 2019 के पेश होने के बाद माना जा रहा है कि इससे मध्य वर्ग को खूब फायदा होने वाला है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अनुपस्थिति में वित्त मंत्रालय का प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल शुक्रवार…
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उत्तरप्रदेश
2019 के चुनावों में सियासी फायदा लेने की कोशिश राम मंदिर – तमन्ना फरीदी
तमन्ना फरीदी अयोध्या में राम मंदिर इन दिनों खास तौर पर राजनीति के परवान चढ़ रहा है। लोकसभा के चुनाव नजदीक आते ही इस मुद्दे पर सियासतें गरमाने लग जाती हैं। हर कोई खुद को राम भक्त साबित करने की…
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अंतरराष्ट्रीय
राजनीति से हटकर
हर बात को राजनीति मं घसीटकर देखना आज के वातावरण में आम बात हो गयी है। इसका प्रसार पिछले पाँच साल में हुआ है जबसे यह तर्क दिया जाने लगा है कि ‘क्या पहले ऐसा नहीं होता था क्या?’…
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चर्चा में
मोदी सरकार में काम कम, विज्ञापन ज्यादा
केन्द्र में मोदी सरकार को देखते-देखते पांच साल पूरे होने को आये। सरकार के कार्यकाल की यदि समीक्षा करें, तो उसमें काम कम और सरकार का विज्ञापन ज्यादा दिखलाई देता है। इन पांच सालों में सरकार, पूरा समय विज्ञापनों…
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मासूमों को कैसे न्याय मिले
निवेदिता यह कहना मुश्किल है कि बिहार के बालिका गृह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले के बावजूद बच्चियों को न्याय मिल पायेगा। जिस अपराध में सरकार और सरकारी मिशनरी ही शामिल हो उससे न्याय की उम्मीद…
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साहित्य
भारत माता ग्रामवासिनी!
इण्टर के विद्यार्थियों को वर्षों से कवि सुमित्रानन्दन की कविता ‘भारत माता ग्रामवासिनी’ पढ़ाते हुए इस बार अर्थ के कुछ और आयाम उद्भासित हुए और साथ ही कुछ सवाल भी। भारत माता ग्रामवासिनी कविता स्वतन्त्रता संघर्ष के दौर की…
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विकास और अस्तित्व का संघर्ष
महेन्द्र यादव तथाकथित विकास के विनाशकारी रूप, भ्रष्टाचार, सरकारी अफसरशाही के निकम्मेपन, नेताओं के दावे और हकीकत के फासले, अपने लोगों की बातें अनसुनी करने वाली चुनी सरकार का नमूना एक साथ देखना हो तो बिहार का कोशी क्षेत्र…
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