Manjula Rathore
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संस्मरण
मंजुला राठौर : सगुण समाजवाद की मौन साधना
( मंजू मेरी सहपाठी, जीवनसंगिनी और धर्मपत्नी थीं। वह हमारी आलोचक, सहयोगी और प्रतिद्वंदी भी रहीं। हमने साथ साथ 1971 में समाजशास्त्र की शुरूआती पढ़ाई की। हमदोनों एक ही समय में 1979-80 में समाजशास्त्र के शिक्षक भी बने। फिर…
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