Tag: ‘Love Hostel’ running on its own path

लव हॉस्टल
सिनेमा

अपनी ही राह पर दौड़ती ‘लव हॉस्टल’

 

एक तरफ़ मुस्लिम जाट लड़का दूसरी ओर हिन्दू जाट लड़की। दोनों में प्यार हुआ। कैसे? कब? कहाँ मिले? जरूरी नहीं बताना। लड़की के परिवार वाले लड़की को मारना चाहते हैं। यहाँ तक की उसका छोटा भाई जो अभी नाबालिग दिखता है उसकी आखों में भी खून तैर रहा है। लड़के के बाप को जो कसाई था उसे आतंकी करार दे दिया गया। क्या कुछ कारण बताए फ़िल्म बनाने वालों ने? अब एक नया किस्सा लड़की के घर वालों में उसकी दादी रसूखदार है, नेता टाइप दादागिरी करती है। उसने भेजा एक डागर को। डागर की कहानी कहाँ गई? ठहर कर देखिएगा समझ आएगी।

दरअसल देखा जाए तो इस ‘लव हॉस्टल’ में कई सारी कमियां है। बनाने वालों ने सोचा होगा कि इस सबकी जरूरत नहीं। बस अपना काम करते चलो। फास्ट फॉरवर्ड तरीके से बात बताओ और निकलो। बस ऐसा ही कुछ इस फ़िल्म के साथ भी है। इसकी कहानी लिखने वालों ने कहानी तो अच्छी लिखी। लेकिन उसे स्क्रिप्ट के रूप में उतारते समय स्क्रिप्ट राइटर किसी जल्दबाजी में थे? या उन्होंने ये सोच रखा था कि लोग खुद सोचें क्योंकि आजकल के दर्शक ओटीटी के आने पर गम्भीर हो गए हैं!

दरअसल ऑनर किलिंग पर अब तक सैकड़ों फिल्में आप और हम देख चुके हैं। यह फ़िल्म भी कुछ नया नहीं दिखाती। पर बावजूद इसके इसमें अभिनय कर रही तमाम टीम और फ़िल्म को जिस तेजी तथा कसावट के साथ परोसा गया है। वह रोचक है। जो लोग बॉबी देओल का सिनेमाई कैरियर खत्म समझ रहे थे, उनके लिए यह सूचनार्थ है कि बॉबी देओल अब फिर से पर्दे पर कहर ढाने आ गए हैं। आने वाले कुछ समय में आधा दर्जन से ज्यादा फिल्मों में वे नजर आएंगे।

इस फ़िल्म में गीत-संगीत ज्यादा नहीं है। जब कहानी ही तेज हो, स्क्रिप्ट गीत-संगीत को न समझती हो तो उसकी उम्मीद नहीं कि जानी चाहिए। पर हाँ वन टाइम वॉच फिल्में पसन्द करने वालों, प्यार के साथ-साथ खून-खराबा देखने वालों के लिए यह फ़िल्म जरूर अच्छी साबित हो सकती है। लेकिन फ़िल्म खत्म होते ही आपके मुंह से ये निकले अरे! ये क्या हुआ! तो बस वहीं से समझ जाइयेगा कि इसके निर्देशक आपके कहाँ तक उतर पाए हैं।

एडिटिंग बेहद कसी हुई है फ़िल्म की यही फ़िल्म की यूएसपी है। साथ ही बीच-बीच में तेज आवाज वाला बैकग्राउंड स्कोर, मोर की कुहू-कुहू के बीच नफरत और प्यार की इस कहानी को आप जी5 के ओटीटी प्लेटफॉर्म वाले भैया के स्टेशन पर डेढ़ घण्टे के आस-पास के ठहराव के साथ देख सकते हैं। फ़िल्म इतनी फास्ट है कि कुछ क्षण के लिए ध्यान भटका तो आपको उतनी ही तेजी से बैक फॉरवर्ड भी करना पड़ेगा। ओटीटी का जमाना है भई कर लीजिएगा। चाय की चुस्कियां लेते-लेते।

अपनी रेटिंग 3 स्टार

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