स्त्री विमर्श
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स्त्रीकाल
नारी स्वतंत्रता और ‘छिन्नमस्ता’
भारतीय समाज में अधिकांश स्त्रियाँ अपने व्यक्तिगत स्तर पर जिस दमन एवं शोषण को भोग रही हैं उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। समाज के निर्माण में स्त्री और पुरुष दो परस्पर पूरक तत्व हैं, फिर समाज के संचालन…
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साहित्य
‘ना उम्मीदी के बीच’ कहानी में बाल विमर्श का अस्तित्व
“वर्तमान दौर विमर्शों का हैं उसमें फिर आदिवासी विमर्श हो या किन्नर विमर्श, स्त्री विमर्श हो या दलित विमर्श सभी पर साहित्य के माध्यम से खूब चर्चा, परिचर्चा, बहस चल रही हैं फिर बाल विमर्श अछूता क्यों रहें। बाल…
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स्त्रीकाल
स्त्री विमर्श के प्रचलित मिथ
स्त्री मुक्ति के सवाल तबतक अधूरे रहेंगे, जबतक कि उसे उस पारम्परिक छवि से मुक्त न किया जाये जिसे लक्ष्मण रेखा की तरह उसके अस्तित्व के चतुर्दिक खींच दी गयी है। संदर्भ जब स्त्री मुक्ति या स्त्री विमर्श का…
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स्त्रीकाल
पंख तो है मगर आसमाँ नहीं
राष्ट्रीय सीमाओं पर घटित हलचल से दिलों में विक्षोभ है। देश में चुनावों का माहौल गरमाया हुआ है। जन-आन्दोलनों से व्यापक तौर पर जुड़ी हस्तियों की चुनावों में हार ने चिन्ता को और भी गहरा दिया है। ऐसे समय…
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मुनादी
स्त्री अकेली नहीं और अलग नहीं
भारत का स्वतन्त्रता संग्राम अपनी चेतना और अपने मनोविज्ञान में कई तरह के न्यायिक अधिकारों के संघर्ष को समाहित किये हुए था। इसलिए भारत में स्त्री आन्दोलन का इतिहास स्वतन्त्रता संग्राम से अलग नहीं है। भारत का आजादी का आन्दोलन…
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साहित्य
स्त्री-विमर्श और मीराकांत का ‘नेपथ्य राग’ – वसुंधरा शर्मा
वसुंधरा शर्मा पश्चिम के ज्ञानोदय ने वंचित, उपेक्षित, उत्पीड़ित तबकों में चेतना का संचार किया, फलतः समाज राजीनति साहित्य एवं कला क्षेत्रों मे कई अस्मिताओं का उदय हुआ दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक एवं अश्वेत वर्ग अपने-अपने अधिकारों और अस्मिता को…
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शख्सियत
पंखों को उड़ान देने वाली अर्चना दी
चंद पलों में धीमे से ऐसे दुनिया छोड़ कर चली गईं अर्चना वर्मा जी जैसे पढ़ते-पढ़ते किसी की आँख लग गई हों और पूरे के पूरे कुनबे को शोक में डुबो गईं। नारियल जैसी व्यक्तित्व वाली प्रभा दीक्षित जी…
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