योगेन्द्र
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पुस्तक-समीक्षा
अंधेरे में रोशनी तलाशती एक किताब
मशहूर समाजवादी सच्चिदानंद सिन्हा ने अपने निबंध- ‘इक्कीसवीं सदी का समाजवाद: नए मूल्यबोध’ में लिखा है- “इस तरह की विकसित नई अर्थव्यवस्था और नए मूल्यबोध के लिए हमें शायद जीवन के उन आयामों को पुनर्जीवित करना होगा जिनके कुछ…
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शख्सियत
ऐसे ही शिक्षकों पर शिष्य अपनी जान लुटाते हैं
डॉ. योगेन्द्र राधा बाबू नहीं रहे। यह तथ्य उनके हजारों छात्रों को दुख से भर देगा।वे महज एक व्यक्ति नहीं थे,संस्था थे।वे कक्षा से लेकर समाज में सक्रिय थे।उनके चाहनेवाले और उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनेवालों के लिए यह खबर…
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