महेश तिवारी
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पर्यावरण
मानवीयता और संवैधानिक कर्तव्यों की तिलांजलि आख़िर क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष महेश तिवारी 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। तदुपरांत से हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी हम विश्व…
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चर्चा में
पलायन मजदूरों का या सरकारों का?
महेश तिवारी हमारे देश में संविधान को पवित्र पुस्तक का दर्जा दिया जाता है। यह वही संविधान है जिसकी प्रस्तावना शुरू होती है,- ” हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य…
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मुद्दा
पबजी की प्रीत में उलझा देश का भविष्य – महेश तिवारी
महेश तिवारी विज्ञान वरदान है, तो अभिशाप भी। विज्ञान की देन ही प्रौद्योगिकी है, तो उसी प्रौद्योगिकी के नवाचार का एक रूप है मोबाइल-फ़ोन। आज के समय में नित्य मोबाइल-धारकों की संख्या बढ़ने पर हम और हमारी रहनुमाई…
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मुद्दा
चुनावी तपिश में गुम होता हुआ पर्यावरण का मुद्दा !
महेश तिवारी जिस लोकतांत्रिक देश में बीते सात दशकों से लगातार जाति, धर्म के नाम पर चुनाव जीता जाता रहा हो। वहाँ पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन चुनावी मुद्दा होना चाहिए। लेकिन उस देश की दुर्गति देखिए जिसके संविधान…
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