प्रेमचंद
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साहित्य
प्रेमचंद और किसानों की व्यथा कथा
किसानों की व्यथा सदियों पुरानी है। यह बात जगजाहिर है कि दुनिया के लिए अन्नदाता कहे जाने वाले खुद ही अन्न को तरसता रहा है। गुलाम भारत हो या आजाद किसानों की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। नील…
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शख्सियत
हिन्दी साहित्य के कोहिनूर प्रेमचंद
आज 31 जुलाई कथा सम्राट, हिन्दी साहित्य के कोहिनूर कहे जाने वाले मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती है। प्रेमचंद जी को हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक माना जाता है। प्रेमचंद जी को आज इसलिए…
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देश
विविधता में एकता का नाम है भारत
भारत एक बहुलतावादी देश है। जिसके कारण यहाँ बहुजातीय, बहुसांस्कृति और बहुधार्मिक मान्यताओं में विश्वास करने वाले लोग बसते हैं। यह अनेक संस्कृतियों का संगम स्थल है। भारत का सम्बन्ध किसी एक धर्म से न होकर अनेक धर्मों से…
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सामयिक
इक्कीसवीं सदी में महिला सशक्तिकरण, साहित्य और समाज
साहित्य की अवधारणा समाज के बिना सम्भव नहीं है। यह समाज से प्रभावित होता है और समाज भी साहित्य से प्रभावित होता है। साहित्य सामाजिक विषय को ध्यान में ही रख लिखा जाता है। विषय वस्तु और स्वरुप के…
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देश
हिन्दी की हिन्दुत्ववादी आलोचना – डॉ. अमरनाथ
डॉ. अमरनाथ जिस प्रकार प्रगतिवादी आलोचना के विकास के पीछे मार्क्सवादी जीवन दर्शन है उसी तरह आधुनिक भारत में हिन्दुत्ववादी आलोचना का भी विकास हुआ है और उसके पीछे हिन्दुत्ववादी जीवन दर्शन है। इस दर्शन का वैचारिक स्रोत…
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मुद्दा
सत्ता की पक्षधरता और साहित्यकारों के लेखन पर अविश्वास का संकट
यह कथन आमतौर पर प्रचलित है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और वह हर काल में राजनीति को दिशा प्रदान करता है| राजनीति को दिशा प्रदान करने का आशय ही यही है कि जहाँ भी राजनीति लोकहित…
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