चुनाव
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आर्थिकी
लोकतन्त्र उत्तरपूँजी का नवराष्ट्रवादी चेहरा हो गया है
भारत के 2019 के लोकसभा चुनावों ने इस बात को साबित कर दिया है कि हम उत्तरपूँजी के वैश्विक खेल की एक कड़ी बनने की स्थिति में आ गये हैं। हम उस दिशा में जा रहे हैं, जिधर अमेरिका…
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लोकसभा चुनाव
आल्दो आई एम ए कम्युनिस्ट, बट नेवर गौट चांस टू वोट फॉर लेफ्ट – अनीश अंकुर
बेगूसराय चुनाव: एक संस्मरण(भाग -6) 26 अप्रैल को जफर और गालिब कलीम ने साहिबपुर कमाल जाने की बात की। तनवीर हसन का घर भी उसी इलाके में पड़ता है। कम्युनिस्ट पार्टी उस क्षेत्र मे थोड़ी कमजोर मानी जाती…
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राजनीति
ऊँट की करवट – अरुण कुमार पासवान
अरुण कुमार पासवान लगभग सवा महीने तक सात चरणों में लोकसभा चुनाव 2019 सम्पन्न हो गया। कैसा रहा चुनाव, यह एक गम्भीर सोच का मुद्दा है। चुनाव-आयोग कुछ कहता है, विपक्षी पार्टियाँ कुछ कहती हैं, सरकार कुछ कहती…
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व्यंग्य
चुनाव का परम ज्ञान
लोग सोचते हैं कि चुनाव एक राजनीतिक प्रक्रिया है| पर वास्तव में यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है| चुनाव आपको अहसास दिलाता है कि यह विश्व नश्वर है| जो कल था वह आज नहीं हैं, जो आज है वह कल…
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लोकसभा चुनाव
भाजपा जान की दुश्मन है, तो कम्युनिस्ट ईमान की – अनीश अंकुर
बेगूसराय यात्रा: एक संस्मरण (भाग 4) 20 अप्रैल की अर्द्धरात्रि में लौटने के बाद दो तीन दिन पटना में रहना हुआ। माध्यमिक शिक्षक संघ में ‘प्राच्यप्रभा’ के सम्पादक व कवि विजय कुमार सिंह व रंगकर्मी मृत्युंजय से मिलने…
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लोकसभा चुनाव
बेगूसराय चुनाव – एक संस्मरण (भाग-3) – अनीश अंकुर
‘जाति’ पूछने वाले की ‘राजनीति’ पता करो नामांकन के बाद वाली सभा में घूमने के दौरान, बुजुर्ग कम्युनिस्ट नेता शिवशंकर शर्मा एक गोल घेरे में बैठे दिखे। उनके ‘जनशक्ति’ के लिखे आलेखों को पसन्द करता रहा हूँ विशेषकर…
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लोकसभा चुनाव
चुनाव, विकास और पर्यावरण
राजकुमार कुम्भज इस समय देश भीषण गर्मी के दौर से तो गुज़र ही रहा है, सत्रहवीं लोकसभा चुनाव और राजनीति के वातावरण ने भी माहौल तपा रखा है, किन्तु सबसे दुःखद यह है कि देश की जनता के…
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मुद्दा
दलितों को समझना होगा आर्थिक आन्दोलन के मायने – संजय रोकड़े
संजय रोकड़े भारत की सामाजिक संरचना में सबसे निचले पायदान पर जीवन बसर करने वाली अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए अब तक किसी भी दल या सरकार ने ईमानदारी से काम नही किया है। अब तक जितनी…
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Democracy4you
क्या चुनाव का पूर्वानुमान लगाना संभव है?
आजादी के पहले भारत को लोग जादूगरों और साँप-सपेरों के देश की तरह देखते थे, आज जब भारत आधुनिकता के पथ पर आगे बढ़कर हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है, एक तिलिस्म ऐसा है जो आधुनिक भारत…
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