चित्रकूट
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विशेष
चित्रकूटः कुछ कहनी कुछ अनकहनी
चित्रकूट के सम्बन्ध में सोचते- विचारते हुए मुक्तिबोध की कविता का यह अंश अचानक स्मरण हो आया। ‘‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है/ जितना भी उड़ेलता हूँ, भर-भर फिर आता है/ दिल में क्या झरना है?/ मीठे…
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