यूपी में योगी सरकार के तीन वर्ष
यूपी में भाजपा सरकार ने मुख्यमंत्री योगी की अगुवाई में तीन साल पूरा कर लिया। सरकार इसे ढेर सारी उपलब्धि वाले नए कीर्तिमान तो विपक्षी दल इसे झूट का ढिंढोरा बता रहे हैं। पड़ताल करती रिपोर्ट।
18 मार्च को सूबे की सरकार ने तीन साल पूरा कर लेने पर खुशी और संतुष्टि का इजहार किया। जनता की उम्मीदों और पार्टी हाईकमान के विश्वास पर खरा उतरने का दावा किया। इतना ही नहीं, उपलब्धियों और नए कीर्तिमान का लंबा चौड़ा खाका खीचते हुए ‘ नए भारत का नया उत्तर प्रदेश ‘ का नारा दिया गया। इन सबके विपरीत, विपक्षी दलों ने इसे झूठ के पुलिंदे तक की संज्ञा दे डाली। समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा – योगी सरकार के विकास का दावा झूठा है। ‘ सबलोग’ से टेलीफोन पर उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद अपने मुंह मियां मिटठू बन रहे हैं जबकि उत्तर प्रदेश की जनता इन उपलब्धियों को स्वीकार नहीं कर पा रही है। उधर, बसपा मुखिया मायावती ने भी पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश के भीतर जंगल राज होना बताया। लाख टके की बात ये कि सरकार के दावे और विपक्ष के नेताओं के बयानों का आशय चाहे जो हो पर इतना तो सच है कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 18 मार्च को तीन साल की अवधि पूरी कर ली।
याद करिए, योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही कई लोगों की टिप्पणी आने लगी थी – ये तो संत हैं। सरकार, वो भी यूपी जैसा बड़ा राज्य…क्या गेरुआ धारी बाबा, यूपी का शासन संभालने में सक्षम होंगे? इस नजरिए से भी योगी के कार्यकाल को देखना लाजमी होगा। तीन साल, यानी पांच साल कार्यकाल का आधे से ज्यादा बीत जाना। बचे दो साल में राज्य की जनता के सामने जहां एक तरफ मूल्यांकन का समय है, वहीं दूसरी तरफ सरकार को खुद साबित करने और विरोधी दलों को अपनी सियासी जमीन मजबूत करने का एक अवसर भी।
बहरहाल, सरकार के तीन साल पूरा करने पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लोक – भवन सभागार में प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर संतुष्टि का इजहार किया। प्रदेश सरकार की उपलब्धियों का लंबा -चौड़ा खाका खींचा। दावा किया कि उनकी सरकार ने विकास के नए प्रतिमान गढ़े हैं। विकास, विश्वास और सुशासन के अतिरिक्त सबका साथ सबका विकास वाले मूलमंत्र पर बेहतर और उल्लेखनीय कार्य किया गया है। प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री योगी अपनी इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अपनी सहयोगी टीम को देना नहीं भूले। कहा, सबके भरपूर प्रयास से ही उत्तर प्रदेश विकास के नए कीर्तिमान गढ़ सका है। सुशासन के तीन वर्ष नाम की बुकलेट का विमोचन करने के बाद मुख्यमंत्री योगी विपक्ष को निशाने पर लेने से भी नहीं चूके। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनके चेहरे पर आत्मविश्वास दिखा और शब्दों में दृढ़ता। योगी के बगल बैठे दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा के अलावा सुनील बंसल, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह समेत आधे दर्जन प्रमुख मंत्रियों के भी चेहरे आत्मविश्वास से लबरेज रहे। योगी ने साफ कहा कि हमने बड़ी चुनौतियों का डटकर सामना किया और उन्हें उपलब्धियों में बदला। तीन साल पहले भाजपा हाई कमान ने जिस भरोसे और उम्मीद के साथ देश के सबसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बनाया उस पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की है। मुख्यमंत्री का दावा रहा कि हर क्षेत्र में स्थिति बेहतर बनी है। तीन लाख करोड़ रुपए का निवेश आने से परोक्ष एवं अपरोक्ष तरीके से तैंतीस लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला।
गौरतलब है कि योगी सरकार ने विकास के नए कीर्तिमान गढ़े जरूर हैं पर कई बड़ी घटनाओं ने भी पिछले तीन साल में देश दुनिया का ध्यान खींचा, जो कानून व्यवस्था के लिहाज से चुनौती के रूप में सामने आए।
सोनभद्र का नरसंहार
पूर्वांचल में सोनभद्र जिले की घोरावल तहसील कोतवाली के उम्भा गांव में 90 बीघा जमीन के विवाद में गुर्जर और गोंड बिरादरी के बीच खूनी संघर्ष में एक ही पक्ष के 10 लोगों के कत्ल से यूपी थर्रा उठा। 25 लोग लहूलुहान हुए। इस जघन्य नरसंहार में बिहार कैडर के एक आईएएस का नाम सामने आया। दो साल पहले पूर्व आईएएस आशा मिश्रा ने अपनी बेटी के साथ मिलकर 90 बीघा जमीन को यज्ञदत्त नामक ग्राम प्रधान के हाथ बेचा था। इसी जमीन पर कब्जा करने 200 हमलावरों के साथ एक पक्ष के लोग गए। बताया जाता है कि ग्रामीणों ने कब्जे का विरोध किया। इस पर सैकड़ों राउंड फायरिंग कर वहां लाशें बिछा दी गयी। नरसंहार की इस घटना को लेकर हाहाकार मचा। इसमें एक और विवाद उस समय जुड़ गया जब कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भुक्तभोगी परिवारों को सांत्वना देने वहां पहुंची। प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने एबीपी गंगा न्यूज चैनल के रिपोर्टर नीतेश पांडेय पर हमला कर दिया। चैनल के कैमरा मैन को भी भला बुरा कहते हुए जान से मार डालने की धमकी दे डाली। तकलीफदेह यह कि ये सब प्रियंका गांधी के सामने हुआ और वे मूकदर्शक बनी रहीं। निजी सचिव को रोकने व टोकने तक की जरूरत उन्होंने नहीं समझा।
स्वामी चिन्मयानंद कांड
पूर्व गृहराज्यमंत्री व भाजपा सांसद स्वामी चिन्मयानंद पर उन्हीं के लॉ कॉलेज में पढ़ने वाली एक छात्रा ने उन पर यौन शौषण का आरोप लगाकर सनसनी मचा दी। आरोपी को बचाने के गंभीर आरोप लगे। कोर्ट के स्वतः संज्ञान लेने के बाद स्वामी न सिर्फ गिरफ्तार हुए बल्कि जेल भी भेजे गए। स्वामी चिन्मयानंद के अलावा उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर समेत कई अन्य जिलों में यौन शौषण के कई मामले सामने आए। उन्नाव में एक दुष्कर्म पीड़िता को जिंदा जला देने तथा न्याय न मिल पाने का आरोप लगाकर यौन शोषण की शिकार एक और युवती के सुसाइड करने तक के दिल दहलाने वाले मामले सामने आए।
उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर
सत्ता दल भाजपा से जुड़े उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर ने भी सरकार की जमकर किरकिरी कराई। इन पर न सिर्फ दुष्कर्म बल्कि शिकायत करने पर पीड़िता के परिजनों की हत्या से लेकर उनको लगातार परेशान करने तक के गंभीर आरोप लगे। कई महीने ठंडे बस्ते में रहने के बाद कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई शुरू हुई। गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेजा। कोर्ट ने दोषी पाए जाने पर जीवन के आखिरी सांस तक सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई।
कई शहरों में धरना प्रदर्शन
बीते दिनों नागरिकता कानून का मुद्दा गरमाया तो कई शहरों में जमकर धरना प्रदर्शन हुए। उग्र प्रदर्शन में उत्पात भी जमकर हुए। प्रदेश की राजधानी लखनऊ, बिजनौर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हापुड़, मऊ, वाराणसी समेत कई जिलों में तोड़फोड़ की हिंसक घटनाएं हुई। पुलिस पर गोली चलाने के आरोप लगे। करीब 19 लोगों की मौत हुई। गृह विभाग के एक अफसर के मुताबिक, हिंसक उग्र प्रदर्शन में 288 पुलिसकर्मी और 61 लोग जख्मी हुए। 327 मामले दर्ज हुए। साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया।
फ्लाईओवर ध्वस्त, 18 मौत
15 मई 2018 को वाराणसी के छावनी क्षेत्र में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के ध्वस्त हो जाने से 18 लोगो की मौत हो गई। इसमें बड़ी लापरवाही सामने आई। बहरहाल, बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में यूपी के भीतर भाजपा सरकार ने तीन साल पूरा कर लिया। और ये भी कि सरकार और विपक्ष के अलग – अलग दावे के बीच यहां की जनता मूकदर्शक बनी आगत भविष्य का चुपचाप इंतज़ार कर रही है।