reservation

  • जब बैसाखियाँ पाँव बनने लगें

      अर्चना वर्मा   न केवल हमारे बल्कि किसी भी समाज में आरक्षण की व्यवस्थाओँ और प्रावधानों के कारगर होने का पैमाना केवल यही हो सकता है कि वे अपने समाज में उत्तरोत्तर अप्रासंगिक और अनावश्यक होती चली जायें। सामाजिक…

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  • आरक्षण से आगे 

       विजय कुमार फिर लगभग 30 साल का कोर्स पूरा हुआ कि पूरा भारतीय समाज खास कर युवा वर्ग आरक्षण समर्थन और आरक्षण विरोध की चक्की में पिसता रहा| हालात यह हो गई की समर्थन और विरोध करने वाले आपस में दुश्मनी…

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  • आरक्षण की विडम्बना

    राणा यशवंत की facebook से साभार साव जी की चाय-पकौड़े की दुकान पर पांडे जी का बेटा ग्राहकों की सेवा करता है, प्लेट-ग्लास भी धोता है. मैं बर्षों से यह देख रहा हूं. गांव में मेहनत-मजूरी की लाज से बचने…

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