Hindi writer
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अंतरराष्ट्रीय
राजनीति से हटकर
हर बात को राजनीति मं घसीटकर देखना आज के वातावरण में आम बात हो गयी है। इसका प्रसार पिछले पाँच साल में हुआ है जबसे यह तर्क दिया जाने लगा है कि ‘क्या पहले ऐसा नहीं होता था क्या?’…
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चर्चा में
मोदी सरकार में काम कम, विज्ञापन ज्यादा
केन्द्र में मोदी सरकार को देखते-देखते पांच साल पूरे होने को आये। सरकार के कार्यकाल की यदि समीक्षा करें, तो उसमें काम कम और सरकार का विज्ञापन ज्यादा दिखलाई देता है। इन पांच सालों में सरकार, पूरा समय विज्ञापनों…
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साहित्य
भारत माता ग्रामवासिनी!
इण्टर के विद्यार्थियों को वर्षों से कवि सुमित्रानन्दन की कविता ‘भारत माता ग्रामवासिनी’ पढ़ाते हुए इस बार अर्थ के कुछ और आयाम उद्भासित हुए और साथ ही कुछ सवाल भी। भारत माता ग्रामवासिनी कविता स्वतन्त्रता संघर्ष के दौर की…
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साहित्य
स्मृति शेष – उस पागल चंदर को कैसे भूले कोई…
sablog.in – पूरा तो याद नहीं, लेकिन जिले का नाम भागलपुर था, अब वहां किस लेखक का घर था, यह याद नहीं। हां, इतना याद है कि वो सर्दी की रात के अंधेरे में आम के पेड़ के नीचे कुछ…
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चर्चा में
अलविदा, चिरयुवा साथी दूधनाथ सिंह!
‘आख़िरी क़लाम’ जैसे अविस्मरणीय महाकाव्यात्मक उपन्यास और ‘रक्तपात’, ‘रीछ’, ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘माई का शोकगीत’ जैसी लम्बे समय तक चर्चा में बनी रहने वाली कहानियों के लेखक, जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय दूधनाथ सिंह नहीं रहे. उनका न रहना…
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