dr. anand patil
-
प्रसंगवश
प्रभु! तेरे ‘रामलिंगम’ के देस में ‘कितनी शांति कितनी शांति!’
यह कहानी नहीं है। इसे लेख कहना भी कितना युक्तियुक्त होगा मैं नहीं जानता। वैसे यह पूरी तरह से संस्मरण भी नहीं है। इसमें विरोधाभासों से युक्त जीवन की आलोचना भी है और वर्तमान समय–संदर्भ में जीवन को देखने…
Read More » -
देश
‘पार्टनर, तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?’ : धूमिल नहीं है, अब यह मुक्ति–बोध देश समझ रहा है
[शाहीन बाग़ में एकत्रित भीड़ के मद्देनज़र उठते सवालों की पड़ताल : ‘जिन्ना वाली आज़ादी’ के मायने क्या हैं? फैजुल हसन ने क्यों कहा – “हम वो कौम से हैं, अगर बर्बाद करने पर आयेंगे तो छोड़ेंगे नहीं।…
Read More »