मुक्तिबोध की कविताओं में आत्मसंघर्ष

  • यत्र-तत्रमुक्तिबोध

    स्मारक में मुक्तिबोध

      मुक्तिबोध की स्मृतियों को सँजोने के लिये राजनांदगाँव में 2005 में एक स्मारक बनाने की योजना पर तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने महत्त्वपूर्ण पहल की। कलेक्टर की अगुवाई में एक समिति गठित हुई जिसमें मुक्तिबोध के मित्र शरद कोठारी, प्राध्यापक…

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  • शख्सियत

    भूल-ग़लती: मुक्तिबोध: एक विश्लेषण

      मुक्तिबोध ने छोटी कविताएं बहुत कम लिखी है; उनकी कविताएं अधिकतर प्रदीर्घ हैं। और जो छोटी कविताएं हैं भी उनको वे मूलतः अपूर्ण मानते हैं। कविताओं की प्रदीर्घता का कारण उनके अनुसार “यथार्थ के तत्व परस्पर गुम्फित होते हैं,…

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