आदिवासी साहित्य
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आवरण कथा
आदिवासी लेखन की उभरती चेतना की स्वरसंगिनी – प्रभाकर तिर्की
प्रभाकर तिर्की दरअसल आदिवासी चेतना का लेखन, एक तरफ अपनी पीड़ा खुद कहने, अपने सामाधान खुद ढुंढने की चेष्टा है, वहीँ वह अपनी संस्कृति को नष्ट करने, अपने संसाधनों पर कब्जा जमाने के षडयंत्रों के बरक्स प्रतिरोध की…
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पुस्तक-समीक्षा
‘सभ्यों’ के खिलाफ बौद्धिक उलगुलान
sablog.in डेस्क – महादेव टोप्पो की पुस्तक ‘सभ्यों के बीच आदिवासी’ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए लिखे गये उनके लेखों का संकलन है। मूलत: आदिवासी कवि के रूप में जाने जानेवाले टोप्पो ‘सभ्यों’ के बीच अपने विद्वान होने का दावा नहीं…
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