चर्चा मेंहरियाणा

जो बेदर्द हो हाकिम, वहां फरियाद ही क्या करना

sablog desk – हरियाणा में भाजपा की सरकार आने से पहले भाजपा के नेता यह शेर कांग्रेस की प्रदेश सरकार के बारे में बोलते थे. अब यह शेर इसी सरकार पर फिट बैठ रहा है. ऐसा कोई वर्ग नहीं है जिसने मौजूदा सरकार के दौर में अभी तक हड़ताल न की हो. लगातार 7 दिन से हरियाणा रोडवेज का चक्का जाम है, लेकिन नहीं सरकार झुक रही है और नहीं कर्मचारी नेता.

हरियाणा विधानसभा के चुनाव  (अक्तूबर 2014) से पहले भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष एवं वर्तमान हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा हुड्डा सरकार पर शेर के माध्यम से कटाक्ष किया करते थे. “जो बेदर्द हो हाकिम, वहां फरियाद ही क्या करना? आई गई सरकार की बात ही क्या करना?  हमारी सरकार आएगी और हम सब कुछ ठीक कर देंगे। “

हरियाणा में 26 अक्तूबर 2014 से बीजेपी की सरकार है और पहली बार भाजपा हरियाणा में अपने बलबूते पर सरकार में आई है। हैरानी होती है कि अब इस सरकार में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। शायद ही कोई ऐसा वर्ग होगा जो इस सरकार में हड़ताल पर न गया हो, बड़ी बात तो यह है कि जब हड़ताल खत्म करने के लिए सरकार के स्तर पर कोई समझौता हो जाता है तो फिर उस समझौते को लागू करवाने के लिए फिर से कर्मचारियों को हड़ताल करनी पड़ती है। हरियाणा में पिछले चार सालों से यही कुछ चल रहा है। 

अब देखिए, प्रदेश में 16 अक्तूबर से हरियाणा रोडवेज का चक्का जाम है, लेकिन सरकार इस हड़ताल को खत्म ही नहीं करवा पा रही है। इस तरह की एक स्ट्राइक 1993 में हुई थी। उसके बाद हरियाणा रोडवेज की यह सबसे बड़ी हड़ताल है। वैसे देखा जाए तो इस स्ट्राइक को खुलवाने के लिए भाजपा सरकार के मंत्रियों को मध्यस्थता करनी चाहिए, लेकिन यह काम मंत्री नहीं, सरकार के आईएएस अधिकारी कर रहे हैं। हालांकि स्ट्राइक पहले की सरकारों में भी होती थी, लेकिन उस समय इन हड़तालों को खत्म करवा लिया जाता था। पिछली हुड्डा सरकार में तेजतर्रार मंत्री रहे और वर्तमान में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कम्यूनिकेशन विंग के इंचार्ज रणदीप सिंह सुरजेवाला इस प्रकार की हड़तालों को कुटनीतिक तरीके से खत्म करवा देते थे। लेकिन, इस सरकार में एक भी मंत्री इस तरह की भागीदारी नहीं कर रहा है। सरकार के अंदरूनी सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि मंत्री ही अपने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को एक तरह से फेल करने में कोई कमी नहीं रहने देते। वह जानबूझ कर दूर बैठकर तमाशा देखते हैं। 

अब देखिए, हरियाणा रोडवेज का चक्का जाम है. यहां यह बता दें कि हरियाणा रोडवेज के बेड़े में 4100 बसें हैं, लेकिन यह बसें नहीं चल रही हैं. प्रदेश के यात्रियों को इस त्यौहारी सीजन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन, यह हड़ताल ही खत्म नहीं हो रही है. अब हड़ताल किस बात को लेकर है यह समझने की जरूरत है. रोडवेज कर्मचारी नेता कह रहे हैं कि जो रोडवेज के बेड़े में प्राइवेट बसें शामिल की जा रही हैं, इससे रोडवेज को सरकार निजीकरण की ओर ले जा रही है. ऐसे में रोडवेज बंद हो जाएगी. इतना ही नहीं, आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि जो प्राइवेट बस 20 से 22 रुपए प्रति किलोमीटर पर हायर की  जा सकती है, उस बस को 31.01 रुपए से लेकर 37.30 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से हायर किया गया है. इस खेल में भ्रष्टाचार है. इन सब बातों के चलते रोडवेज यूनियन के नेताओं का कहना है कि किसी भी सूरत में प्राइवेट बसों को नहीं चलने देंगे. सरकार 53 लोगों से यह बसें हायर कर रही हैं. पहली बात तो यह कि ये 53 लोग कौन हैं?  जिसके लिए सरकार  यह हड़ताल खत्म नहीं करवा रही है और इस जिद्द पर अड़ी है कि यह प्राइवेट बस तो चलकर ही रहेगी. अब सवाल यह है कि यदि पड़ोसी राज्यों में रेट कम है तो यहां इतने महंगे रेट क्यों हैं? रोडवेज की बस को चलाते हैं तो उस पर सरकार का 1 किलोमीटर पर 49 रुपए खर्च आता है.

अब सवाल यह है कि सरकार रोडवेज के बेड़े में नई बस खरीदी नहीं जा रही हैं और हर साल 500 बस कंडम हो जाती हैं. इस हिसाब से 8 साल में 4000 बस कंडम हो जाएंगी और एक तरह से रोडवेज डिपार्टमेंट बंद हो जाएगा. रोडवेज यूनियनों को यह डर सता रहा है और अपनी इसी मांग को लेकर हड़ताल पर हैं. क्या सरकार के पास एक भी ऐसा मंत्री नहीं है जो रोडवेज यूनियन के नेताओं से बातचीत करके यह हड़ताल खुलवा दे. रविवार को भी जो हरियाणा रोडवेज के यूनियन के नेताओं से 4 घंटे के दौरान 5 दौर की मीटिंग हुई. इस मीटिंग की भी सीएम के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर और एसीएस धनपत सिंह ने अध्यक्षता की है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि  इस सरकार ने सब कुछ ब्यूरोक्रेसी के जिम्मे छोड़ दिया है. ऐसे में जनता इस सरकार के बारे में अब यह कह रही है कि –

‘जो बेदर्द हो हाकिम वहां अब फरियाद ही क्या करना

आई गई सरकार की अब बात ही क्या करना”

 

रोडवेज यूनियन के नेताओं का यही कहना है कि मुख्यमंत्री या मंत्री हमसे बात करें, अफसर तो सरकार को गुमराह कर रहे हैं। 

वहीं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अगर रोडवेज यूनियन के पदाधिकारियों का मुझसे या परिवहन मंत्री से मिलने का कोई मैसेज आता है तो हम जरूर बात करेंगे.

उन्होंने कहा कि रोडवेज के बेड़े में हर हाल में 720 निजी बसें शामिल की जाएंगी. निजी बसों से करीब 15 रुपए प्रति किलोमीटर की बजत होगी और इससे रोडवेज घाटे से उबरेगी.

 

उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों में चल रही बसों से कम रेट पर बसें ली जा रही हैं. रोडवेज यूनियनों को जनहित में काम करना चाहिए और सरकार के फैसले का विरोध नहीं करना चाहिए. किसी प्राइवेट आपरेटर से बसें नहीं ली जा रहीं हैं. बसें प्राइवेट जरूर होंगी लेकिन उन पर कंट्रोल हरियाणा रोडवेज का होगा.

 

वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला कहते हैं- अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए निजी बसें लाई जा रही हैं. सरकार को कर्मचारियों की मांगे मानकर रोडवेज की हड़ताल खत्म करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि निजीकरण की बजाए नई बसें खरीदकर लोगों को सुविधा दी जाए.

 

कमेंट बॉक्स में इस लेख पर आप राय अवश्य दें। आप हमारे महत्वपूर्ण पाठक हैं। आप की राय हमारे लिए मायने रखती है। आप शेयर करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा।
Show More

सबलोग

लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x